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Buxar Top News: वर्षों तक रहा पुलिस का मुखबिर, फिर बन बैठा शराब तस्कर, चलाता था जुए के अड्डे, करता था अवैध वसूली ..



तभी उत्तर प्रदेश की सीमा से एक नौका आती दिखाई दी. जिस पर लगी शराब की बोरी को मुखबिर पृथ्वी चौहान अन्य लोगों की मदद से स्वयं ही उतारने लगा. यह देखते ही टाइगर मोबाइल के जवानों ने नगर थाना पुलिस को सूचना देते हुए तस्करों पर धावा बोल दिया. 

- अवैध शराब तस्कर तथा जुए के अड्डे कर रहा था संचालन.
- सिपाही बनकर करता था वाहनों से अवैध वसूली.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वर्षों तक पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करने वाला तथा पुलिस के हर राज जानने के बाद एक व्यक्ति ने इसे ही पुलिस की कमजोरी बना ली एवं जुए के अड्डों के संचालन, अवैध वसूली के शराब की तस्करी का धंधा अपना लिया. उक्त व्यक्ति का मन इतना बढ़ गया था कि वह खुद को पुलिस का सिपाही बताकर वाहनों से अवैध वसूली तक किया करता था. 


इसी क्रम में नगर थाना पुलिस को सूचना मिली कि केंद्रीय कारा के पास उत्तर प्रदेश से गंगा के रास्ते शराब की खेप लाई जा रही है. जिसके बाद टाइगर मोबाइल के जवानों को इलाके की निगरानी में लगाया गया. इसी दौरान पुलिस के इस मुखबिर पृथ्वी चौहान (जो वहाँ पहले से मौजूद था) की नजर सिपाहियों पर पड़ी.  उसने सिपाहियों के साथ अभद्रता पूर्ण व्यवहार करते हुए कहा कि जिस जगह पुलिस को निगरानी करनी चाहिए वहां निगरानी नहीं करते हुए वह गलत जगह पहुंच गए हैं. इस प्रकार समझा-बुझाकर उसने पुलिसकर्मियों को चलता करने की कोशिश की, लेकिन सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार पुलिस को पूरा भरोसा था कि शराब की खेप उसी जगह पर आ रही है, जिसके चलते टाइगर मोबाइल के सिपाही वहीं झाड़ियों में छुप गए तथा निगरानी करने लगे. तभी उत्तर प्रदेश की सीमा से एक नौका आती दिखाई दी. जिस पर लगी शराब की बोरी को मुखबिर पृथ्वी चौहान अन्य लोगों की मदद से स्वयं ही उतारने लगा. यह देखते ही टाइगर मोबाइल के जवानों ने नगर थाना पुलिस को सूचना देते हुए तस्करों पर धावा बोल दिया. हालांकि दो तस्कर भागने में सफल रहे. फिर भी पुलिस ने मुख्य तस्कर पृथ्वी चौहान के साथ दो अन्य तस्करों को गिरफ्तार कर लिया. 

हालांकि, इस दौरान एक बार फिर पृथ्वी ने पुलिस पर दबाव बनाते हुए भागने की कोशिश की. पुलिस से उसकी हाथापाई भी हुई. लेकिन, अंततः पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर थाने पहुंचा ही दिया. थाने में पहुंचने के बाद उसे पहचानने वाले पुलिसकर्मी अपने ही मुखबिर को शराब तस्कर के रूप में देखकर चौंक रहे थे. लेकिन अंततः उसे उसके कुकर्मों की सजा  देते हुए हाजत में बंद कर ही दिया गया. 

बहरहाल, बड़ा सवाल यह भी है कि खुले जहां बाहरी अपराधियों पर नियंत्रण लगाने की जद्दोजहद कर रही है. वहीं पुलिस महकमे के अंदर अपराधी कैसे सेंध लगा ले रहे हैं? शायद भविष्य में पुलिस इस सवाल का उत्तर अवश्य तलाश करे ...
















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