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Buxar Top News: नौ दिवसीय श्री राम कथा भंडारे के साथ हुई संपन्न ..



सृष्टि के कल्याणार्थ जगत जननी सीता का इस धरा पर प्राकाट्य हुआ. मां पार्वती पूजन के लिए जब भी सीता जाती थी तो मां से सिर्फ एक ही प्रार्थना करती थीं कि 'मोर मनोरथ जानहुं नीके.' अर्थात मां मेरी अभिलाषा को भलीभांति जानती हैं उसे पूर्ण करें. 

- सृष्टि के निर्माण काल से ही सहनशीलता ने धरा नारी का रूप
- रामकथा के पात्रों में से सीता को. हटा देने पर कथा में नहीं बचेगा कुछ भी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  सृष्टि के कल्याणार्थ जगत जननी सीता का इस धरा पर प्राकाट्य हुआ. मां पार्वती पूजन के लिए जब भी सीता जाती थी तो मां से सिर्फ एक ही प्रार्थना करती थीं कि 'मोर मनोरथ जानहुं नीके.' अर्थात मां मेरी अभिलाषा को भलीभांति जानती हैं उसे पूर्ण करें. उक्त बातें परमपूज्य श्रीरायणदास भक्तमाली उपाख्य मामा जी के कृपापात्र शिष्य आचार्य रणधीर ओझा ने शनिवार को सिद्धाश्रम विकास सेवा समिति द्वारा आयोजित नवदिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन ज्ञद्धालुओं को ज्ञानोपदेश देते हुए कहीं.

उन्होंने कहा कि ब्रह्मा द्वारा जब से सृष्टि का निर्माण किया गया है तब से लेकर आज तक जितनी सहनशीलता उत्पन्न हुई, उन सभी सहनशीलताओं ने एक नारी का रूप धारण किया. जिसे हम जानकी के नाम से जानते हैं. वह एक अछूत कन्या थीं.  जिनमें सृष्टि के सारे गुण विद्यमान थे. उन्होंने कहा कि राम कथा के पात्रों में से यदि सीता का नाम हटा दिया जाए तो कुछ भी शेष नहीं रह जाएगा. चूंकि, सीता आदर्श नारी की प्रतीक हैं. भगवान श्रीराम ने वन गमन के दौरान सीता से कहा था कि आप विषम परिस्थियों को सहन नहीं कर पाएंगी इसलिए मेरे साथ चलने की जिद मत करिए। इस दौरान मां सीता ने प्रत्युत्तर में जो कुछ कहा उसे यदि मानव जाति अपने अंत:करण में स्थापित कर लें तो जीवन हल्का हो जाएगा. सीता जी ने कहा था कि प्रभु! आपके सानिद्धय में दुख को भी सुख के रूप में अनुभूति करुंगी। आचार्य जी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सुख और दुख परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं। सुख को स्वीकार करने के साथ ही हर व्यक्ति को दुख सहन करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. कार्यक्रम के अंत में आचार्य जी के द्वारा रामविवाह से संबंधित गाए गए गीतों से उपस्थित जनमानस भाव विभोर हो गया. बताते चलें कि नवदिवसीय राम कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन में राम स्वरूप अग्रवाल, सत्यदेव प्रसाद, हरिशंकर गुप्ता, रोहतास गोयल, नंदलाल जायसवाल, नेतलाल वर्मा, साकेत कुमार श्रीवास्तव, संजय सिंह, विजय कुमार वर्मा, उपेंद्र दुबे, सुरेंद्र वर्मा, वैद्यनाथ शर्मा, काशी बम, दिनेश जायसवाल, कमलेश्वर तिवारी, रामावतार पांडेय, पवननंदन सहित कई अन्य लोगों की प्रमुख्य भूमिका रही.

















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