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Buxar Top News: अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिन्हा की हत्या से जुड़े मामले में आरोपी को छः वर्ष की सजा ..



सभी धाराओं के अंतर्गत कारावास की अवधि अलग-अलग होगी. जिसके कारण कुल मिलाकर छह वर्ष एक माह का सश्रम कारावास और 8,500/- जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया गया है. जानकार बताते हैं कि इस तरह का फैसला कभी-कभी आता है.


  • अधिवक्ता पुत्री के साथ छेड़खानी के मामले में न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला.
  • अलग- अलग धाराओं में अलग-अलग काटनी होगी सजा.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वर्ष 2015 में अपराधियों की गोली का शिकार हुए प्रेम प्रकाश सिन्हा (अधिवक्ता) हत्या के मामले में जहाँ पूर्व के फैसले में न्यायालय ने  सभी आरोपियों को बरी कर दिया था वही छेड़खानी के मामले में आरोपी को छः वर्ष एक माह की सजा सुनाई गई है.यह फैसला अधिवक्ता की हत्या के पूर्व महिला थाने में 1 नवंबर 2015 को दर्ज हुए काण्ड संख्या 38/15 के अंतर्गत आया है.

न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला विभिन्न धाराओं में अलग-अलग होगी सजा की अवधि:

अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी राजेश रंजन सिन्हा की अदालत ने विभिन्न धाराओं में आरोपी गोपाल श्रीवास्तव उर्फ सल्लू को दोषी मानते हुए छः वर्ष एक माह की सजा सुनाई है. धारा 354, 326, 509 के तहत अगल-अलग सजा हुई है. सभी धाराओं के अंतर्गत कारावास की अवधि अलग-अलग होगी. जिसके कारण कुल मिलाकर छह वर्ष एक माह का सश्रम कारावास और 8,500/- जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया गया है. जानकार बताते हैं कि इस तरह का फैसला कभी-कभी आता है.

छेड़खानी की प्राथमिकी दर्ज कराने के प्रतिशोध में मारी गई थी गोली:

ज्ञात हो कि अपनी पुत्री से छेड़खानी के विरोध में नगर थाने में पीड़ित प्रेम प्रकाश सिन्हा ने 16 अक्टूबर 2015 को प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आवेदन दिया था. लेकिन पुलिस लापरवाही बरतते हुए 1 नवंबर 2015 को प्राथमिकी दर्ज की. घटना की पैरवी के दौरान अभियुक्तों ने 27 नवंबर कोई 11:30 बजे अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिन्हा को गोली मारकर जख्मी कर दिया। घटना के 15 दिन बाद अधिवक्ता की वाराणसी में उपचार के दौरान मौत हो गई.

बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं का प्रयास हुआ विफल नहीं मिल सकी जमानत:

पीड़ित पक्ष की तरफ से अधिवक्ता शिवशंकर सिंह व बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल ठाकुर ने पैरवी की. न्यायिक सूत्रों ने बताया कि इस मामले में दोषी को तीन वर्ष से अधिक सजा होने के कारण जमानत नहीं मिली. उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. वैसे बचाव पक्ष इस मामले को अपील में लेकर जा सकता है। इसके लिए उन्हें जिला जज की अदालत में याचिका दायर करनी होगी.

न्यायालय सवांददाता राघव कु०पाण्डेय की रिपोर्ट
















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