नहर पक्की होने से पहले नहर में एक सैफन हुआ करता था जिससे नालों के सहारे नहर के अंदर से पश्चिम से पूरब की ओर निकल जाता जिसके चलते सारा पानी पश्चिम से पुरब होते छेरा नदी में चला जाता था जिसके कारण जल जमाव की समस्या नहीं होती.
- दबंगों के अतिक्रमण के कारण नहीं निकल पा रहा खेतों तथा सड़कों पर भरा पानी.
- कई बार लगाई गई है पदाधिकारियों से गुहार लेकिन नहीं बदली स्थिति.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले एक ऐसा गांव जहां प्रशासन तो मानो कुंभकरण की नींद में सोये है, ना तो उन्हें कुछ दिखाई देता है ना कुछ सुनाई देता है आखिर प्रशासन कोई बड़ी घटना का इन्तजार कर रहा है क्या ? जी हां, हम बात कर रहे हैं जिले के केसठ़ प्रखंड के कतिकनार पंचायत के दंगौली गांव का जहां के लोगों की हालत ना तो प्रशासन को दिख रही है ना जनप्रतिनिधियों को. अब तो बस इंद्र देव का ही सहारा बचा है, अब मत परी ये भगवान.... कइसे होई हमार धान...
अब तक नहीं कम हुआ पानी, जलजमाव में डुबे हुए हैं सैकड़ों एकड़ धान:
पिछले चार दिनों से रूक रूक कर हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, जहां एक तरफ जलजमाव से रोपे गए धान चार दिनों से पानी में लापता हैं जो अब सड़ने वाले ही है, वहीं दूसरी तरफ गांव से बाहर निकलने के लिए भी कोई रास्ता नहीं बचा ताकि छोटे बच्चे अकेले स्कूल जा सके, परिजन उन्हें घुटनों भर पानी लांघकर गांव से बाहर निकालते हैं.
वर्षों पुराना बिजली के खंभे के बने पुल के सहारे जान हथेली पर रखकर, गांव से बाहर निकालते हैं लोग:
हल्की बारिश से ही गांव में जलजमाव हो जा रहा हैं, जिसके चलते गांव के सड़क पर दो फीट ऊंची पानी बहने लगता है तथा विषैले जीवों का खतरा बढ़ जाता है. जिसके कारण वो रास्ता बंद हो जाता है, फिर बचता है एक मात्र बिजली के खंभे वाला पुल वो भी पानी में डुब जाता है, जिस पर अंदाज के सहारे पार कर नहर के सड़क पर चढ़ते है लोग. खास कर के साईकिल, मोटरसाइकिल पार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. थोड़ा सा भी संतुलन बिगड़ा कि बीस फ़ीट गहरे पानी में जा गिरेगा, जान भी जा सकती है.
पिछले साल भी हुआ था जलजमाव, आखिर क्यों होता है दंगौली में जल जमाव:
गांव के किसानों का कहना है कि दो तीन साल से हो रहा है ये जल जमाव, लोगों का कहना है कि सारा जल जमाव नहर से पश्चिम ही है, जो कि नहर से पश्चिम चाट में दबंगों के अतिक्रमण के कारण है, जिसके कारण पुरा पानी का निकास बंद हो गया है. और वहां के लोगों का कहना है कि नहर पक्की होने से पहले नहर में एक सैफन हुआ करता था जिससे नालों के सहारे नहर के अंदर से पश्चिम से पूरब की ओर निकल जाता जिसके चलते सारा पानी पश्चिम से पुरब होते छेरा नदी में चला जाता था जिसके कारण जल जमाव की समस्या नहीं होती. जो अब नहीं होने के कारण जल जमाव हो जा रहा हैं, लोगों का कहना है कि, पिछले साल प्रखंड कार्यालय में लिखित आवेदन भी दिया था जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. अगर ऐसा ही होता रहा तो किसानों के सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी.
बाढ़ से किसान राम किंकर सिंह, धरनीधर सिंह, अजीत कुमार, जिउत साह, राम ईश्वर साह, कन्हैया सिंह, अरुण सिंह, केदार सिंह आदि के कई एकड़ की फसल बर्बाद होने को है. बावजूद इसके प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद किसानों को नहीं मिल पा रही है. जहां नीतीश सरकार अपनी बड़ी-बड़ी दावे किसानों के लिए कर रही हैं वहीं केसठ़ प्रखंड के मिलीभगत पदाधिकारी दंगौली गांव में फेल दिखता नजर आ रहा है आखिर कब खुलेगी प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद?
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