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Buxar Top News: ई-फार्मेसी के विरोध में बक्सर में बंद हैं दवा दुकानें, साढ़े आठ लाख दवा कर्मियों पर मंडरा रहा है बेरोजगारी का खतरा ..



ऑनलाइन दवा व्यापार से आपातकालीन स्थिति में उपभोक्ताओं को समय पर दवा मिलने में परेशानी होगी, साथ ही दवा बदले जाने की स्थिति में ऑनलाइन फार्मेसी से तुरंत दूसरी दवा की आपूर्ति संभव नहीं होगी.

- बक्सर में खुली रखी गई है एक दवा दुकान.

- दवा दुकानदारों का भयादोहन बंद करने की भी की जा रही है माँग.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्र सरकार की नीति ई-फार्मेसी के विरोध में केंद्र एवं राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रजिस्ट के आह्वान पर राज्य के सभी थोक एवं खुदरा विक्रेताओं द्वारा 20 से 27 सितंबर 2018 तक काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रकट करते हुए दुकानों का संचालन किया जा रहा है. इसी क्रम में शुक्रवार को दवा दुकानदारों ने देशव्यापी बंद करने का है इस दौरान वह अपनी अपनी दवा दुकानों को बंद रखे हुए हैं. बक्सर में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. बक्सर में दवा की सभी दुकानें बंद है जीवन रक्षक दवाओं की बिक्री को जारी रखने के उद्देश्य से दवा दुकानदारों ने स्थानीय सदर अस्पताल के सामने ही एक दुकान को खोले रखने का निर्देश एसोसिएशन के पदाधिकारियों तथा दुकानदार को दिया है.

एसोसिएशन के बक्सर जिला के वाइस प्रेसिडेंट दीपक अग्रवाल ने बताया कि जिन राज्यों में फार्मासिस्ट की उपलब्धता है ही नहीं वहां विभागीय पदाधिकारियों द्वारा केंद्रीय कानून का हवाला देकर केमिस्ट जनों को भयभीत एवं भयादोहन करने से निजात दिलाने हेतु यह बंद आयोजित किया गया है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन दवा व्यापार से आपातकालीन स्थिति में उपभोक्ताओं को समय पर दवा मिलने में परेशानी होगी, साथ ही दवा बदले जाने की स्थिति में ऑनलाइन फार्मेसी से तुरंत दूसरी दवा की आपूर्ति संभव नहीं होगी. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन फार्मेसी से नशीली और प्रतिबंधित दवाओं की आपूर्ति बढ़ने की संभावना है. 

श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार की इस इस नीति से केवल बड़े उद्योगपति लाभान्वित होंगे जबकि छोटे दुकानदारों कि दुकानें बंद हो जाएंगी. ऐसे में 8 लाख केमिस्ट एवं 40 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे.




















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