Header Ads

Buxar Top News: वीडियो: अपने प्रदेश के जरूरतमंदों के लिए दिल्ली में खुला है "विश्वामित्र निवास" ..



परिस्थितियों की तुलना हमेशा दूसरो की बेहतर चीजो से करते हैं तो एक सवाल सहसा आ जाता है कि फिर अपनी बेहतर चीजो की मुक्त कंठ प्रशंशा हम क्यों नहीं कर पाते?

- सांसद अश्विनी कुमार चौबे के सरकारी आवास का किया जा रहा सदुपयोग

- दूरदराज से आए रोगियों तथा उनके परिजनों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं सांसद के कई प्रतिनिधि.

 देखें वीडियो: 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "बक्सर", पुण्यभूमि, देवभूमि, वेदों की रचना वाली भूमि, भगवान् वामन की भूमि, महर्षि विश्वामित्र की भूमि, राम से लेकर महर्षि च्यवन की भूमि, हुमायु के गर्व को पद दलित करने वाली भूमि! लेकिन इतनी विशेषताओं के होते हुए भी इस दिव्यभूमि के साथ एक अभिशाप जुड़ा हुआ है. अपनी उपलब्धियों, अपनी बेहतर चीजो के प्रति नकारात्मकता का भाव. ऐसा क्यों है यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है.  यहाँ के निवासी परिस्थितियों की तुलना हमेशा दूसरो की बेहतर चीजो से करते हैं तो एक सवाल सहसा आ जाता है कि फिर अपनी बेहतर चीजो की मुक्त कंठ प्रशंशा हम क्यों नहीं कर पाते? आख़िर हर चीज में हम नकारात्मकता कैसे ढूंढ लाते है? आख़िर क्यों सिर्फ कुंठित विचारों के वशीभूत होकर हम अच्छी और सकारात्मक बाते भी हम नहीं देख पाते?

आज हम बात करेंगे स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के द्वारा उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर बक्सर के साथ साथ पूरे देश के अन्य जगहों से आये मरीजों की देखभाल के लिए चलाये जाने वाले विश्वामित्र निवास की. दिल्ली में इलाज के लिए भटकते उन अनगिनत मरीज़ों जिन्हें छत तक नहीं मिलती है. वैसे ही मरीजो के लिए रेगिस्तान में नखलिस्तान बन कर आया है बक्सर सांसद सह मंत्री महोदय के सरकारी आवास पर स्थित विश्वामित्र निवास. अभी तक लगभग 11 हज़ार से भी ज्यादा लोगो का सफल चिकित्सा कराने में सहयोग कर चुके इस विश्वामित्र निवास में बिना किसी भेदभाव के बक्सर और बक्सर से बाहर के लोगो का इलाज हुआ है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है की दिल्ली के अति विशिष्ट लुटियंस जोन में किसी ने अपने दरवाजे मुक्त ह्रदय से सहर्ष आम जरूरतमंद जनता के लिए खोल दिया है.

इस विश्वामित्र निवास की परिकल्पना एक दिन में नहीं हो गयी. जब अश्विनी चौबे भागलपुर से विधायक हुआ करते थे उस समय उनका वीरचंद पटेल स्थित सरकारी आवास ऐसे ही लोगो से भरा रहता था और श्री चौबे जी स्वयं राजेन्द्र नगर में किराए के मकान में रहते थे. आज सांसद और केन्द्रीय मंत्री बनने के बावजूद भी यह परम्परा नहीं छूटी. इसी परम्परा की परिणति है यह विश्वामित्र निवास! आज इस निवास के सफल संचालन का दायित्व माननीय मंत्री महोदय के व्यक्तिगत देखरेख में जिन जिम्मेदार कंधो के ऊपर है वो श्री अखिलेश मिश्रा, अवधेश झा, उमेश उपाध्याय, मनोरंजन सिंह, पटना से माधव श्रीवास्तव, वाराणसी से अनिल कुमार आदि। इन जैसे अनेको व्यक्तिओं की दिन रात की कड़ी मेहनत के परिणाम स्वरुप यहाँ आये हुए प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी बिमारी से पीड़ित क्यों नहीं हो, उसे इलाज में मदद जरुर मिली है. यहाँ रहने वाले मरीजो और उनके परिजनों को रहना खाना तो निःशुल्क है ही साथ ही, अस्पतालों में उनके पंजीयन से लेकर डॉक्टर से मिलने और दवाईयों के सम्बन्ध में भी मदद मिलती है. यही नहीं राष्ट्रीय आरोग्य निधि, स्वास्थ्य मंत्री चिकित्सा सहायता और मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष से भी इन मरीजो की सहायता की जाती है. चाहे वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) हो या प्रसिद्द डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सभी जगह यहाँ आये हुए मरीजो के लिए विशेष व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गयी है. मरीजो के लिए चौबीसों घंटे तत्पर रहने वाले अखिलेश मिश्रा ने बताया कि “हमारी पूरी कोशिश रहती है की हमारे संपर्क में आये मरीजो के लिए समुचित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध हो सके फिर भी कई कारणों से किसी किसी मरीज को दो से तीन महीने भी यहाँ लग जाते हैं. ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है की मरीज और उनके परिजन धैर्य बनाये रखें. हमारी पूरी टीम का एक ही लक्ष्य होता है कि यहाँ आया हुआ प्रत्येक व्यक्ति यहाँ से मुस्कुराता हुआ जाए.“

एक ख़ास बात इस निवास की यह है कि यहाँ के सभी कक्षों का नाम हिन्दुस्तान के प्रसिद्ध महापुरुषों महात्मा गाँधी, अटल विहारी वाजपेयी, स्व. कैलाशपति मिश्रा, बाबू वीर कुंवर सिंह आदि के नामों पर है. इन नामो को रखने के पीछे यह उद्देश्य है की इन महापुरुषों ने कभी भी अपने जीवन में हार नहीं मानी. दिल्ली में इलाज के लिए भटकते मरीजो और उनके परिजनों के लिए यह विश्वामित्र निवास उम्मीद की वह किरण है जो उन्हें और अधिक जीने की उम्मीद देती है, उन्हें हार नहीं मानने देती. इस नेक पहल के लिए माननीय स्वास्थ्य मंत्री और उनकी टीम की जितनी भी प्रशंशा की जाए उतनी ही कम है. 


विवेक कुमार सिंह




















No comments