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Buxar Top News: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के नाम पर बक्सर में बड़ा खेल, शामिल लोग जाएंगे जेल ..



उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान 22 जनवरी 2015 से आरंभ की गई है. जिसके तहत सुकन्या योजना की शुरुआत हुई थी लेकिन इस योजना की आड़ में कुछ लोगों ने फर्जीवाड़े का खेल शुरू कर दिया है.

- कई दिनों से बक्सर में चल रहा था फर्जीवाड़े का खेल.

- अनुमंडलाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय ने कहा, फर्जी है फॉर्म.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कहा जाता है कि लोभ में आदमी अंधा हो जाता है यह कहावत बक्सर में इन दिनों चरितार्थ हो रही है, जहां प्रधानमंत्री के नारे को हथियार बनाते हुए लोगों को दिग्भ्रमित कर फर्जीवाड़े का खेल शुरू कर दिया गया है. यहां प्रधानमंत्री बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान के नाम पर गलत फॉर्म लोगों को बेवकूफ बनाते हुए उनसे उगाही की जा रही है. हालांकि मामले के सामने आने के बाद सदर अनुमंडल अधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय ने इस तरह इस फॉर्म को फर्जी बताते हुए कठोर कार्रवाई किए जाने के संकेत दिए हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान 22 जनवरी 2015 से आरंभ की गई है. जिसके तहत सुकन्या योजना की शुरुआत हुई थी लेकिन इस योजना की आड़ में कुछ लोगों ने फर्जीवाड़े का खेल शुरू कर दिया है. भारत सरकार रक्षा मंत्रालय एवं विकास मंत्रालय भवन नई दिल्ली के नाम से फार्म बाजार में बिक रहे हैं जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि 8 वर्ष से 32 वर्ष की बेटियों को प्रधानमंत्री बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से दो लाख की राशि दी जाएगी. लाभ पाने के लिए लोगों द्वारा इस तरह के फॉर्म को भरकर उसे मुखिया से अनुसंशित कराकर निबंधित  डाक के माध्यम से भेजा जा रहा है. यह अभियान बिल्कुल फर्जीवाड़ा है. इस तरह का कोई कार्यक्रम और अभियान भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा नही चलाया गया है. इस संबंध में प्राप्त शिकायत के आलोक में कार्यपालक दंडाधिकारी, अनुमंडल बक्सर  एवं आपूर्ति निरीक्षक, बक्सर नगर से इसकी जांच कराई गई.  जिसमें पुरानी कचहरी के पास अवस्थित 3 दुकानदारों के पास इस तरह का फर्जी फॉर्म बिक्री करते हुए पाया गया.  उनके विरुद्ध फर्जीवाड़े की प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है. सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी और थानाध्यक्ष अपने अपने क्षेत्र में भी इसकी जांच करें और इस तरह का गलत कार्य कर लोगों को गुमराह करने वालों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें. ऐसे फॉर्म को मुखिया द्वारा अनुशंसित न करने का सुझाव भी दिया  जा रहा है.




















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