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कथा में व्यास से ज्यादा श्रोता का होता है महत्व-पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज

ठीक वैसे ही जैसे भोजन बनाने के पूर्व पतीली को साफ करना पड़ता है. इसलिए कथा शुरू करने से पूर्व राम नाम संकीर्तन कर अंतःकरण को स्वच्छ किया गया. जिसमें प्रभु को आमंत्रित किया जाएगा. 

- व्यास गद्दी पूजन के साथ शुरू हुआ वाल्मीकि रामायण का पाठ.
- हरि नाम संकीर्तन से बन गया था ईश्वरीय वातावरण.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कथा में व्यास से ज्यादा महत्व श्रोता का होता है. राम कथा एक ऐसी कथा है जिसे सुनने से पूर्व सबसे पहले अंतःकरण को शुद्ध करना पड़ता है. ठीक वैसे ही जैसे भोजन बनाने के पूर्व पतीली को साफ करना पड़ता है. इसलिए कथा शुरू करने से पूर्व राम नाम संकीर्तन कर अंतःकरण को स्वच्छ किया गया. जिसमें प्रभु को आमंत्रित किया जाएगा.

यह बातें 49 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के दौरान श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने वाल्मीकि रामायण पाठ के दौरान कही. कहा कि उन्होंने कहा कि उनका यह सौभाग्य है कि उन्हें बक्सर की पवित्र भूमि पर आने का मौका मिलता रहा है.

पहले दिन के प्रवचन के दौरान शुरुआत से पूर्व स्वामी जी महाराज ने हरिनाम संकीर्तन का ऐसा माधुर्य वातावरण में घोला जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए. उनके साथ आए वादन कला में पारंगत वादकों ने उनके संकीर्तन के दौरान उत्पन्न संगीत से ईश्वरीय माहौल पैदा कर दिया. मंच पर बसाँव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज, प्रसिद्ध कथा वाचक रामनाथ ओझा समेत संत समाज के विभिन्न लोग तथा देश एवं विदेश से आए श्रोता एकाग्र चित्त होकर प्रवचन सुनते रहे.

इसके पूर्व व्यास गद्दी पूजन किया गया. जिसमें आश्रम के महंत राजा राम शरण दास जी महाराज, बसाँव पीठाधीश्वर अतच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, समेत संत समाज के लोग तथा आश्रम के परिकर मौजूद रहे. सर्वप्रथम राजा राम शरण दास जी महाराज ने वाल्मीकि रामायण पुस्तक को सिर पर उठा कर आश्रम में अवस्थित श्री राम जानकी की प्रतिमा की परिक्रमा की ततपश्चात व्यास गद्दी की परिक्रमा करते हुए विधि विधान से व्यास गद्दी का पूजन किया गया. जिस पर विराजमान हो पुंडरीक जी महाराज ने कथा वाचन प्रारंभ किया.
























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