पूर्व मंत्री बसंत सिंह का निधन, सदर विधायक समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने जताया शोक ..
विधायक तथा राजद की सरकार में भवन निर्माण मंत्री रहे बसंत सिंह का शनिवार की अहले सुबह तकरीबन साढ़े 4 बजे पटना स्थित पारस अस्पताल में 72 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया
- राजद की सरकार में भवन निर्माण मंत्री रह चुके थे श्री सिंह.
- सदर विधायक ने बताये रोचक संस्मरण.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वर्ष 1985 से वर्ष 2000 तक लगातार डुमराँव के विधायक तथा राजद की सरकार में भवन निर्माण मंत्री रहे बसंत सिंह का शनिवार की अहले सुबह तकरीबन साढ़े 4 बजे पटना स्थित पारस अस्पताल में 72 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. दस दिनों पूर्व उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही बक्सर से उनके बड़े भाई राणा रणजीत सिंह पटना के लिए रवाना हो गए. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर शनिवार को किया जाएगा जहां उनको गॉड ऑफ ऑनर भी दिया जाएगा. उधर पूर्व मंत्री की खबर सुनते ही राजनीतिक जगत शोक में डूब गया. सदर विधायक समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है.
बसंत सिंह से जुड़े अपने संस्मरण की याद को ताजा करते हुए सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने बताया कि "वर्ष 1985 में श्री सिंह पहली बार डुमराँव विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता होने के नाते मैंने सुदूर गाँवों में जाकर उनका प्रचार-प्रसार किया था. वहीं दूसरी तरफ 1990 में जब वह जनता दल की टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा तो उस वक्त मैं आरक्षण विरोधी मोर्चा बना कर उनके विरोध में खड़ा हुआ था. उस वक्त मुझे तकरीबन साढ़े पाँच हजार वोट मिले थे. तत्पश्चात 1995 में जब वह दोबारा फिर चुनाव मैदान में उतरे उस वक्त भी मैंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पुनः चुनाव मैदान में उन्हें चुनौती दी थी. उस वक्त करीब साढ़े तेरह हज़ार मत मुझे प्राप्त हुए थे. श्री सिंह के साथ राजनीतिक विद्वेष कभी भी व्यक्तिगत संबंधों पर भारी नहीं पड़ा. श्री सिंह के निधन की खबर सुन उन्हें गहरा आघात पहुंचा है.
चौगाईं गांव के जमीन्दार बाबू जगदीश्वर प्रसाद सिंह के घर 16 जुलाई 1947 को जन्मे बसंत सिंह अपने तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. वर्ष 2003 में इन्होंने काँग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी. 2005 में इन्होंने आखिरी बार डुमराँव विधानसभा से चुनाव लड़ा था लेकिन उस वक्त उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
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