लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं जिला कृषि पदाधिकारी- विधायक
उन्होंने कहा कि सरकार 2019 के लोकसभा चुनावों में लाभ लेने के लिए किसानों की पीड़ा को अनसुना कर रही है. बक्सर के जिला कृषि पदाधिकारी सरकार के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं, जहां गलत रिपोर्ट के आधार पर पहले तीन एवं अब किसान महापंचायत के बाद केवल दो प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया
- विधायक ने कहा चुनावी फायदे के लिए पुन: केवल दो प्रखंडों को किया गया सूखाग्रस्त घोषित.
- नहरों का हाल एवं मौसम की रिपोर्ट के साथ जनहित याचिका दायर करेंगे विधायक.
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: "किसान महापंचायत के बाद बिहार सरकार में हड़कंप मच गया है. जिसके बाद आनन-फानन में सरकार द्वारा दो अन्य प्रखंडों इटाढ़ी एवं डुमराँव को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है. हालांकि, सरकार 2019 के चुनाव को लेकर एक गहरी साजिश रच रही है. जिसके तहत सिमरी, चक्की, चौसा एवं बक्सर जैसे सूखाग्रस्त इलाकों को छोड़ दिया गया है. यह केवल इसलिए किया गया है क्योंकि यहाँ महागठबंधन के जनप्रतिनिधि है." यह कहना है सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का. उन्होंने बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में बिहार तथा केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा.
राजनीतिक फायदे के लिए किसानों के दर्द को किया अनसुना:
उन्होंने कहा कि सरकार 2019 के लोकसभा चुनावों में लाभ लेने के लिए किसानों की पीड़ा को अनसुना कर रही है. बक्सर के जिला कृषि पदाधिकारी सरकार के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं, जहां गलत रिपोर्ट के आधार पर पहले तीन एवं अब किसान महापंचायत के बाद केवल दो प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया. विधायक ने बताया कि बक्सर के किसान सरकार की तरफ आशा और विश्वास के साथ देख रहे थे लेकिन सरकार ने उन्हें एक बार फिर ठगने का कार्य किया है.
विभिन्न रिपोर्टों के साथ जनहित याचिका दायर करेंगे विधायक:
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की मांग पर गहनता से विचार करें. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसानों के हित के लिए सरकार के विरुद्ध एक जनहित याचिका दायर करेंगे, जिसमें मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी एवं नहरों में पानी की उपलब्धता जैसे रिपोर्ट को भी लगाएंगे ताकि सरकार का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो सके. उन्होंने धान का क्रय ना होने पर भी सरकार पर निशाना साधा. विधायक ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक एक छंटाक धान की खरीदारी सरकार द्वारा नहीं की गई है. मजबूर किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं.
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