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खबर बड़ी है: विश्राम सरोवर की जमीन को भू-माफिया ने कराया अपने नाम, विभागीय अधिकारियों में हड़कंप ..

मामले का खुलासा तब हुआ जब मुन्ना यादव नामक व्यक्ति जमीन के मालिकाना हक के कागजात लेकर नगर में लोगों के पास पहुंचने लगा. धीरे-धीरे बात अधिकारियों के कानों तक पहुंची जिसके बाद जिला मत्स्य पदाधिकारी कांति कुमारी ने मामले को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा

- वर्षों से चल रही थी कब्जा करने की साजिश सोता रहा विभाग.

- 15 दिनों पूर्व हुआ मामले का खुलासा तो दी जिलाधिकारी को सूचना.



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर के स्टेशन रोड स्थित बसाँव मठिया परिसर में अवस्थित विश्राम सरोवर की जमीन को निजी व्यक्ति द्वारा अपने नाम करा लिए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. मामला प्रकाश में आने के बाद विभाग द्वारा जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है जिसके बाद जिलाधिकारी ने भी मामले में आगे अपील करने की बात कही है. 

पूर्व से ही नगर परिषद का डंपिंग जोन बन चुका यह पोखरा वर्षों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था. पोखरे के पुनरुद्धार के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी रमन कुमार से लेकर वर्तमान जिलाधिकारी राघवेंद्र सिंह को भी पंचकोशी परिक्रमा समिति के द्वारा अनुरोध किया गया था, जिस पर वर्तमान जिलाधिकारी ने सार्थक पहल करने की सहमति भी जताई थी. इसी बीच किसी भू-माफ़िया द्वारा पोखरे की जमीन को अपने नाम निबंधित करा लेने की बात सामने आई है.

मालिकाना हक़ के कागजात लेकर घूमने लगा व्यक्ति, तब हुआ खुलासा:

मामले का खुलासा तब हुआ जब मुन्ना यादव नामक व्यक्ति जमीन के मालिकाना हक के कागजात लेकर नगर में लोगों के पास पहुंचने लगा. धीरे-धीरे बात अधिकारियों के कानों तक पहुंची जिसके बाद जिला मत्स्य पदाधिकारी कांति कुमारी ने मामले को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा तथा इस संदर्भ में उचित कारवाई करने का अनुरोध किया. हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे जिला मुख्यालय में अवस्थित सरोवर की जमीन कैसे किसी निजी व्यक्ति के हाथों में चली गयी. और विभाग कानोंकान खबर तक नहीं हुई.

वर्षों से चल रही थी जमीन को कब्जाने की साजिश:

मामले में जब हमने तफ्तीश करने से शुरू की तो ज्ञात हुआ के भू-माफियाओं के द्वारा वर्षों से इस जमीन को अपने कब्जे में लिए जाने की साजिश चल रही थी. सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन चेयरमैन मीना सिंह द्वारा वृद्धाश्रम बनाने के लिए पहले तो इस ऐतिहासिक सरोवर को डंपिंग जोन बनाया गया. लेकिन मत्स्य विभाग द्वारा हस्तक्षेप करने पर उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए. हालांकि, नगर परिषद का कचरे की डंपिंग यह करता रहा. इसी बीच धीरे धीरे भू-माफिया द्वारा गलत तरीके से दस्तावेजों को प्रस्तुत करते हुए इस जमीन को अपने नाम निबंधित ही करा लिया गया. हालांकि, नगर परिषद इस जमीन पर अपना दावा तो नहीं करता लेकिन यह भी गंभीर प्रश्न है कि आखिर कैसे उसने इस जमीन को डंपिंग जोन बना लिया. 

15 दिन पूर्व हुई जानकारी तो डीएम को लिखा गया पत्र

मामले में जिला मत्स्य पदाधिकारी कांति कुमारी के मुताबिक विभिन्न सूत्रों से जब उन्हें  इस पोखरे को गलत ढंग से अपने नाम रजिस्ट्री करा लेने की बात पता चली उन्होंने तत्काल जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया. बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन द्वारा मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है.

इस बाबत जिलाधिकारी राघवेंद्र सिंह का बयान राहत पहुंचाने वाला है. उन्होंने बताया कि मामले में तीन-चार वर्ष पूर्व ही उक्त व्यक्ति द्वारा उक्त जमीन पर दावा प्रस्तुत किया गया था, जिसके आलोक में उसके पक्ष में फैसला आ गया है. उक्त फैसले के विरुद्ध प्रशासन के द्वारा अपील की जा रही है. वहीं पोखरे को फिर से बनवाए जाने की भी कार्रवाई की जाएगी.













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