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सीएस को बनाया बंधक, पहुँचे चीता कमांडों, वेतन प्रपत्र पर हस्ताक्षर से खत्म हुई हड़ताल ..

लेकिन वह पारिश्रमिक शब्द का गलत अर्थ निकाल रहे थे. कह रहे थे ऑपरेटरों को 6500 रुपये के दर से ही भुगतान किया जाएगा. इसको लेकर डॉटा ऑपरेटर आक्रोशित हो गए और सिविल सर्जन का घेराव कर प्रदर्शन करने लगे.

- वेतन की मांग को लेकर 1 माह से अधिक समय से हड़ताल पर थे डाटा एंट्री ऑपरेटर

- बिना वेतन लिए हटने को तैयार नहीं थे आंदोलनकारी.



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  पिछले एक माह से मानदेय समेत अन्य मांगों को लेकर विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात डॉटा इंट्री ऑपरेटरों ने सोमवार को उस समय सिविल सर्जन डॉ.के के लाल को बंधक बना लिया जब कार्यपालक निदेशक के आदेश के बाद भी भुगतान को लेकर उन्होंने आनाकानी की. इसको लेकर काफी देर तक अस्पताल में मची अफरातफरी के बाद अंतत: सिविल सर्जन ने डॉटा इंट्री ऑपरेटरों के भुगतान के लिए हामी भरी. हालांकि इस दौरान उन्होंने  चीता कमांडो को भी  अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बुला लिया था. लेकिन  कमांडो के आने के पूर्व ही डाटा एंट्री ऑपरेटर की बात मान लिए जाने पर हड़ताल खत्म हो गई .


सीएस ने कहा कि जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि डॉटा ऑपरेटरों को 11 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से भुगतान होगा. इससे पहले वह कार्यपालक निदेशक के आदेश का दूसरा अर्थ निकाल रहे थे. बिहार राज्य स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला मंत्री आनंद कुमार सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी और राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक के आदेश के बाद सिविल सर्जन ने डॉटा इंट्री ऑपरेटरों के बकाया भुगतान का आश्वासन दिया है. उन्होंने बताया कि कार्यपालक निदेशक ने फरवरी 2019 तक का भुगतान नियमानुसार करने का आदेश सिविल सर्जन को दिया है. लेकिन वह पारिश्रमिक शब्द का गलत अर्थ निकाल रहे थे. कह रहे थे ऑपरेटरों को 6500 रुपये के दर से ही भुगतान किया जाएगा. इसको लेकर डॉटा ऑपरेटर आक्रोशित हो गए और सिविल सर्जन का घेराव कर प्रदर्शन करने लगे. इस दौरान वे उनकी गाड़ी के सामने लेट गए और गाड़ी आगे नहीं जाने दी. स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां चीता कमांडों की भी टीम पहुंच गई. इस दौरान अफरातफरी की स्थिति बनी रही. अंतत: जिलाधिकारी और कार्यपालक निदेशक का फोन आने के बाद सिविल सर्जन ने डॉटा ऑपरेटरों के भुगतान के लिए आश्वासन दिया. खबर लिखे जाने तक भुगतान को लेकर सिविल सर्जन द्वारा पत्र जारी करने की प्रक्रिया चल रही थी. यहां बता दें कि इससे पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री सह स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने भी सदर अस्पताल में कार्यक्रम के दौरान डॉटा ऑपरेटरों के भुगतान का आदेश सिविल सर्जन को दिया था. उन्होंने सिविल सर्जन की कार्यपालक निदेशक से बात भी कराई थी. हालांकि, उसके बाद भी सिविल सर्जन भुगतान को लेकर टालमटोल कर रहे थे. जिसके बाद कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन को इसके लिए आदेशित किया.












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