Header Ads

पंचतत्व में विलीन हुए दियारे के लाल, अंतिम यात्रा में शामिल हुए राजनीतिक दिग्गज ..

इसके बाद से वह कभी चुनाव  मैदान में नहीं उतरे तथा अपनी लेखनी से कई किताबें लिख डाली. अब उनका मन समाजिक, विकास और गरीबों की मदद करने में ही लगता था

- परिजनों को सांत्वना देने के क्रम में नम हुई सभी की आंखें.

- जीवन भर समाज के लिए समर्पित रहे समाजवादी नेता.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सिमरी प्रखण्ड क्षेत्र के राजपुर पर्सनपाह पंचायत स्थित तवकल डेरा गांव निवासी दियारे के लाल कर्मठ  समाजवादी नेता प्रो. सूरज कुमार यादव पंचतत्व में विलीन हो गए. बुधवार को उनका अंतिम संस्कार गाँव के नजदीक स्थित गंगा घाट पर किया गया. इस दौरान पूरे देश भर से कई राजनीतिक दिग्गज उनके अंतिम यात्रा में शामिल रहे. सभी ने दलगत भावना से ऊपर उठकर उनकी अंतिम यात्रा में शिरकत की. 

समाजवादी नेता प्रो. सूरज कुमार यादव का लखनऊ में बीते मंगलवार को निधन हो गया. बुधवार को उनका शव एंबुलेंस से उनके पैतृक गांव तवकल डेरा लाया गया. उनका शव आते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता तथा हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. 

परिजनों द्वारा बताया गया कि विगत लगभग तीन महीनों से वह इलाजरत थे. उनको ब्रेन हेमरेज हो गया था जिनका इलाज बीएचयू में चल रहा था सेहत में सुधार न होने के कारण उनको बेहतर उपचार हेतु डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ के इमरजेंसी सेवा में भर्ती कराया गया जहां बीते मंगलवार को चिकित्सकों द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. गांव पर पार्थिव शरीर पहुंचते ही उनकी रोती विलखती उनकी माँ 90 वर्षीय माँ मकफूलिया देवी, बहन, भाई तथा परिजनों को संतावना देते समय पूर्व सांसद जगदानन्द सिंह, ब्रह्मपुर विधान सभा के विधायक शम्भूनाथ यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक, संग्राम सिंह, नारद राय समेत अन्य लोगों की आँखे नम हो गयी. बताया जाता है कि समाजवादी नेता के पिता तथा पत्नी का स्वर्गवास हो चुका था. उनके एक भी पुत्र अथवा पुत्री नहीं थे. वह बक्सर के पूर्व विधायक हृदयनारायण सिंह के सहपाठी थे. उन्होंने एक साथ पीएचडी किया और राजनीतिक कार्यों से जुड़ गए. बीते कुछ वर्षो पहले उनको सपा से ब्रह्मपुर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी मिला. लेकिन दुर्भाग्यवश वह चुनाव हार गए. वर्ष 2012 में वह जिला पार्षद के चुनावी मैदान में खड़े हुए यहाँ भी उन्हें असफलता हाथ लगी इसके बाद से वह कभी चुनाव  मैदान में नहीं उतरे तथा अपनी लेखनी से कई किताबें लिख डाली. अब उनका मन समाजिक, विकास और गरीबों की मदद करने में ही लगता था. उत्तर प्रदेश और बिहार के राजनीतिक दल के मंत्री, विधायक उनके स्वभाव के कारण उनसे काफी करीबी थे. 

उनका अंतिम संस्कार  गांव के नजदीक गंगा घाट पर उनके चचेरे भाई के 16 वर्षीय पुत्र प्रीतम कुमार के द्वारा मुखाग्नि देकर किया गया. अंतिम दर्शन में डुमराँव विधान सभा के श्रीकांत यादव, राजद जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह, पूर्व चेयरमैन अक्षयवर यादव, सुनील सिंह, प्रखण्ड प्रमुख प्रतिनिधि नीरज पाठक, अमीरी लाल यादव, निर्मल यादव, पूर्व मुखिया मुन्ना सिंह ,धनंजय मास्टर, हरेंदर यादव, टुनटुन सिंह ,पोतन पासवान, प्रेम चंद राम, धीरेंद्र यादव, फुलेश्वर राम, हृदय यादव, सुरेंद्र यादव, मो.मैनुदिन सहित अन्य हजारों सामाजिक, राजनीतिक दलों के व्यक्ति मौजूद थे.










No comments