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हाल-ए- बक्सर: चौबे त्रिकोण में फंसा एनडीए, दूसरी तरफ भी बड़ा सन्नाटा है ..

एक तरफ जहां विभिन्न राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा हार-जीत के दावे किए जा रहे हैं. वहीं विकास तथा जंगलराज की बातें भी दोहराई जा रही हैं. उधर नामों की घोषणा नहीं होना पार्टी की विशेष रणनीति की तरफ भी इशारा कर रही है. माना जा रहा है कि सभी गठबंधनों के एक्सपर्ट जीत का ही दांव खेलना चाह रहे हैं.


- बक्सर से भाजपा तथा राजद हैं प्रमुख विपक्षी.
- राजद में पसरा सन्नाटा दे रहा है कुछ संकेत.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर लोकसभा क्षेत्र इन दिनों राजनीतिक उहापोह की स्थिति से  जूझ रहा है. दरअसल किसी भी दल ने अब तक अपना पता नहीं खोला है, जिसके कारण क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है. ये चर्चाएं कई तरह की हैं. जो नुक्कड़ की चाय दुकानों से लेकर पार्टी कार्यालयों तक चल रही हैं. एक तरफ जहां विभिन्न राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा हार-जीत के दावे किए जा रहे हैं. वहीं विकास तथा जंगलराज की बातें भी दोहराई जा रही हैं. उधर नामों की घोषणा नहीं होना पार्टी की विशेष रणनीति की तरफ भी इशारा कर रही है. माना जा रहा है कि सभी गठबंधनों के एक्सपर्ट जीत का ही दांव खेलना चाह रहे हैं.

किस पार्टी से कौन बनेगा उम्मीदवार, उम्मीद में हैं सभी:

इस समय सबसे बड़ा मुद्दा इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार की घोषणा का है. पार्टी ने अब तक यहां पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा तो नहीं की है लेकिन, कयासों का बाजार गर्म है. भाजपा के बक्सर सांसद रह चुके अश्विनी कुमार चौबे ने जहां पहले ही साफ कर दिया है कि वह बक्सर से ही चुनाव लड़ेंगे, वहीं दूसरी तरफ बाहरी उम्मीदवार के नाम पर उनके विरोध में भी माहौल तैयार हो रहा है. इसी बीच पूर्व आईआरएस तथा भाजपा  नेता बिनोद चौबे ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. उनका मानना है कि बाहरी तथा स्थानीय नेता के पेंच में फंसी भाजपा के लिए वह संकट मोचक साबित होंगे. वहीं भाजपा नेता परशुराम चतुर्वेदी भी खुद को इसी रेस में शामिल बता रहे हैं.

तो क्या पार्टी छोड़ेंगे पहलवान?

इसी बीच कुछ दिनों पूर्व डुमराँव से जदयू विधायक ददन पहलवान ने भी पार्टी आलाकमान से टिकट मांग कर सबको चौंका दिया था. हालांकि सीटों के बंटवारे में यह तो साफ हो ही गया है कि बक्सर की सीट जनता दल यूनाइटेड के खाते में नहीं जाएगी. ऐसे में ददन पहलवान क्या निर्दलीय उम्मीदवार हो सकते हैं अथवा क्या वह किसी अन्य पार्टी का दामन थाम सकते हैं? यह सवाल सबके जेहन में है. हालांकि, पहलवान अभी इस विषय में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. ऐसे में एनडीए में में चर्चाएं केवल बाहरी चौबे बनाम स्थानीय चौबे के नाम पर आकर रुक जाती है. अब देखना यह होगा कि टिकट के लिए जा रही त्रिकोणीय दावेदारी में किसका दावा पार्टी को सबसे ज्यादा पसंद आता है.

इस तरफ भी .... बड़ा सन्नाटा है:

टिकट को लेकर खींचतान तथा असमंजस की केवल एक तरफ नहीं बल्कि, प्रमुख विपक्षी महागठबंधन में भी है.  एक तरफ जहां पूर्व सांसद रह चुके जगदानंद सिंह का टिकट इस सीट से फाइनल माना जा रहा है. वहीं पार्टी अभी उनके नाम पर कुछ नहीं बोल रही. पार्टी के नए खेवनहार क्या करेंगे यह कोई भी स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता. हालांकि, पार्टी में अन्य किसी ने भी खुलकर अपनी दावेदारी नहीं की है. जिससे कि परिस्थितियां और भी संशयपूर्ण स्थिति बना दे रही हैं. बहरहाल, कयासों के बाजार के बीच किसी भी खेमे से नामों की घोषणा किसी बड़ी खबर से कम नहीं है. जिसके लिए हमें अभी और इंतजार करना पड़ेगा...














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