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सड़क नहीं होने के कारण इन गांवों में शादियों से इंकार कर रहे लोग, जनता ने कहा नेताओं को घुसने नहीं देंगे ..

उन्होंने बताया कि कच्चा मार्ग होने के कारण गर्मी के दिनों में तो केवल धूल से ही सामना होता है. लेकिन बरसात के दिनों में गांव में पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण अक्सर लोग दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं

- जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूरी पर है सड़क से वंचित हैं लोग.

- कहते हैं ग्रामीण, रोड नहीं तो वोट नहीं.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी गांव में शादी महज इसलिए कट जाए क्योंकि उस गांव में जाने के लिए सड़क नहीं है. आप भले ही इस बात पर विश्वास नहीं कर सके लेकिन यह सच है. आजादी के सात दशक से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित कई गांवों का सड़क से संपर्क नहीं हो सका है, जिस कारण लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं.

जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सदर प्रखंड के छोटका नुआंव पंचायत के तकरीबन आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. कारण गांवों में सड़क का आभाव. रविवार को अपनी बात को लेकर ग्रामीणों ने जहां जमकर विरोध प्रदर्शन किया वहीं रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किया. ग्रामीणों का कहना है कि अबकी बार वह किसी भी पार्टी के नेता को वोट मांगने के लिए गांव में घुसने नहीं देंगे उन्होंने बताया कि इस सड़क से जुड़ने वाली सभी गांव की जनता वोट का बहिष्कार करेगी. सुबह तकरीबन 9 बजे से शुरु होकर ग्रामीणों का प्रदर्शन तकरीबन साढ़े 11 बजे तक चला. रोशन के दौरान बच्चे, बूढ़े तथा महिलाएं भी नारे लगा रहे थे. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के अभाव में गोविंदपुर, कोडरवा पुलिया, बलुआ, बलरामपुर, कृतपुरा, लरई, नवागांव, नोनियापुर, सोवांबांध, जरीगांवा, करहँसी समेत कई गाँव विकास से कोसों दूर हैं. उन्होंने बताया कि कच्चा मार्ग होने के कारण गर्मी के दिनों में तो केवल धूल से ही सामना होता है. लेकिन बरसात के दिनों में गांव में पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण अक्सर लोग दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी गाँवों में आवागमन के लिए सड़क नहीं है. पिछले कई दशकों से जो भी जनप्रतिनिधि हुए हैं उन्होंने केवल झूठे आश्वासनों से जनता को ठगने का कार्य किया है हालात यह है कि एक तरफ जहां सरकार "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" का नारा दे रही है. वहीं सड़क नहीं होने की वजह से स्कूली वाहन यहाँ नहीं पहुंच पाते हैं. वहीं एंबुलेंस गांव तक नहीं आ पाती. ऐसे में स्थिति यह हो जा रही है कि ना तो बेटियां पढ़ पा रही हैं ना ही वे बच पा रही हैं. एक ग्रामीण ने बताया कि उसके बेटी की शादी केवल इसलिए कट गई क्योंकि एक गांव में सड़क नहीं है.














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