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बच्चों ने जानी शास्त्रीय संगीत की बारीकियां ..

उन्हें बताया गया कि इस कला को सीखने और उसमें पारंगत होने के लिए शिष्य को गुरु के सानिध्य में लंबे समय तक कठोर अभ्यास करना होता है. लगभग डेढ़ घंटे चली प्रस्तुति की अवधि में विद्यार्थियों ने मौन रहकर हर बेहतरीन प्रस्तुति के बाद हाथ उठा कर अभिवादन किया.

- स्पीक मैके द्वारा आयोजित था फॉउंडेशन स्कूल में कार्यक्रम.
- बच्चों को कराया शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली परंपरा से परिचित.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: नगर के फाउंडेशन स्कूल में सोमवार को स्पीक मैके के तत्वाधान में विदुषी श्रीमती सुरंजना व उसके द्वारा शास्त्रीय संगीत गायन की प्रस्तुति दी गई. कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की गौरवशाली परंपरा से परिचित कराना था. मौके पर सुरंजना बोस ने विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की विधाएं जैसे कि ख्याल, ठुमरी, दादरा इत्यादि से परिचित कराया उनके साथ तबले पर कोलकाता से आए हुए सुधीर गोराई एवं हारमोनियम पर पटना के सुधीर गोगोई ने संगत की.

प्राचार्य विकास ओझा ने बताया कि आज के आधुनिक परिवेश में भारतीय शास्त्रीय संगीत के समृद्ध इतिहास से विद्यार्थी परिचित हो तथा भारतीय संस्कृति की खूबियों को जाने जहां के अंत ही आवश्यक है. विद्यालय में स्पीक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम भारतीय संस्कृति को और मजबूत बनाने की दिशा में एक बेहतरीन प्रयास है. संस्थान के संस्थापक डॉ किरण सेठ ने बताया कि संस्था की शुरुआत लगभग 40 वर्ष पूर्व की गई थी संस्था द्वारा देशभर के विभिन्न स्कूलों और महाविद्यालयों में ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय स्तर के शास्त्रीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाती है. विद्यार्थी इन कलाकारों को नजदीक से देख कर और उन्हें सुनकर कला की बारीकियों से रुबरु हो पाते हैं. मौके पर पटना से आए स्पीक मैके के बिहार चैप्टर के विवेक सिन्हा ने बताया कि विद्यालय उनके लगातार संपर्क में रहा है. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कराए जाने चाहिए. कार्यक्रम के दौरान कक्षा अष्टम से 12वीं तक के विद्यार्थियों ने पूरी तन्मयता से श्रीमती बोस के गायन को सुना. पूरी प्रस्तुति के दरम्यान विद्यार्थी मंत्रमुग्ध होकर शास्त्रीय संगीत की अद्भुत विधा का श्रवण करते रहे. इस दौरान उन्हें बताया गया कि इस कला को सीखने और उसमें पारंगत होने के लिए शिष्य को गुरु के सानिध्य में लंबे समय तक कठोर अभ्यास करना होता है. लगभग डेढ़ घंटे चली प्रस्तुति की अवधि में विद्यार्थियों ने मौन रहकर हर बेहतरीन प्रस्तुति के बाद हाथ उठा कर अभिवादन किया. कार्यक्रम का दूसरा चरण दोपहर 12 बजे से जीडी इंस्टिट्यूट ऑफ हायर स्टडीज में प्रारंभ हुआ जिसमें बीएड तथा डीएलएड के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.















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