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जनता ने जमकर चलाया नोटा का सोंटा, व्यवस्था पर उठाए सवाल ..

अबकी बार नोटा ने चौथे स्थान पर रहकर यह साबित कर दिया है कि जनप्रतिनिधि चाहे विकास के लाख दावे करें लेकिन जनता सब की असलियत जानती है तथा उनके व्यवहार से बेहद नाखुश है

- चौथी सबसे बड़ी पसंद बनकर उभरा है नोटा.

- एक दर्जन से ज्यादा प्रत्याशियों को न्योता ने पछाड़ा.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को उम्मीद से भी ज्यादा वोटों से जीत मिली है, वहीं अबकी बार के चुनाव में जनता ने जमकर नोटा का सोंटा भी चलाया है. अबकी बार नोटा ने चौथे स्थान पर रहकर यह साबित कर दिया है कि जनप्रतिनिधि चाहे विकास के लाख दावे करें लेकिन जनता सब की असलियत जानती है तथा उनके व्यवहार से बेहद नाखुश है. बताया जा रहा है कि जिन गांवों में वोट बहिष्कार की घोषणा हुई थी, अगर वह ग्रामीण भी अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए नोटा का बटन दबाते तो यह आंकड़ा दोगुने से भी ज्यादा होता. बक्सर संसदीय क्षेत्र में मुख्य मुकाबले में शामिल एनडीए, महागगठबंधन एवं बसपा के अलावा नोटा समेत कुल सोलह उम्मीदवारों में जनता का चौथी सबसे बड़ी पंसद बनकर उभरा. शाम साढ़े 6 बजे तक परिणाम के रुझान मिलने तक कुल पड़े 8 लाख 25 हज़ार 135 मतों में नोटा बटन का इस्तेमाल करने वाले मतदाताओं की संख्या 13 हज़ार 644 रही. खास बात तो यह है कि नोटा के अलावा निर्दलीय एवं छोटे दलों में अन्य किसी ने इतने वोट हासिल नहीं किए. यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 की मतगणना में कुल 9169 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. तत्कालीन समय में यह सातवें स्थान पर था. लेकिन, इस बार कुल पड़े मतदान 9 लाख 81 हजार 081 में से 90 फीसद हुई मतगणना में ही नोटा चौथे स्थान पर है. प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रही क्रमश: भाजपा, राजद एवं बसपा को ही नोटा से ज्यादा मत हासिल हुए हैं. लोकसभा चुनाव के वोटिग प्रक्रिया में नोटा को दूसरी बार शामिल किया गया है और मतदाताओं के नोटा की ओर बढ़ रहे इस प्रकार रुझान कहीं न कहीं व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. मतगणना स्थल के बाहर परिणाम जानने को उत्सुक पांडेय पट्टी के के जय प्रकाश सिंह ने कहा कि इसको जिला बने 27 साल हो गए. पर विकास के नाम पर कहीं कुछ नहीं दिख रहा. पौराणिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक रूप से महत्व रखने के बावजूद इसका विकास नहीं किया गया. वहीं, किसानों के लिए सिचाई, नाला का निर्माण कर सड़कों का चौड़ीकरण आदि कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर किसी भी सरकार या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है. उनके मुताबिक यही वजह रही कि बड़ी संख्या में लोगों ने नोटा का बटन दबा सभी दलों पर अविश्वास जताया है. ऐसे लोगों में व्यवस्था के प्रति विश्वास जगाना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है.











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