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जनता द्वारा नकारा गया विपक्ष, फैला रहा अराजकता - अश्विनी चौबे

जनता द्वारा नकारा गया विपक्ष अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर और ईवीएम पर फोड़ रहा है. मामले की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने विपक्ष की याचिका को खारिज करके मतगणना का आदेश दिया है

- कहा, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके अपनाकर बिहार के शांत माहौल को गंदा करने का साजिश कर रहा है विपक्ष.

- जिला प्रशासन पर भी जताई नाराजगी, कहा- निर्वाचन आयोग को लिखा है पत्र.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि चुनाव में अपनी हार को सुनिश्चित जान विपक्षी पार्टियां अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं. जनता द्वारा नकारा गया विपक्ष अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर और ईवीएम पर फोड़ रहा है. मामले की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने विपक्ष की याचिका को खारिज करके मतगणना का आदेश दिया है. चुनाव आयोग उच्चतम न्यायालय के आदेश और निर्देश के अनुसार पूरी पारदर्शिता से काम कर रही है. लेकिन जनता द्वारा नकारे गए विपक्ष को उच्चतम न्यायालय और चुनाव आयोग पर भी विश्वास नहीं है. असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके अपनाकर विपक्ष पूरे देश में और खासकर बिहार में शांत माहौल को अराजकता की ओर धकेलना चाह रही है जो कि अत्यंत निंदनीय है. जनता इसको किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेगी.

अश्विनी कुमार चौबे के मीडिया प्रभारी वेद प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि नई दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होने के बाद मतगणना के पूर्व बक्सर जाने के क्रम में पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान श्री चौबे ने कहा कि “बक्सर की महान जनता के आशीर्वाद से अपनी जीत के प्रति पूरी तरीके से आश्वस्त हैं लेकिन जिला निर्वाचन कार्यालय के पदाधिकारियों और अधिकारियों के रूख के कारण उन्हें मतगणना में धांधली की आशंका है जिसकी शिकायत निर्वाचन आयोग को की गयी है. आरा और बक्सर दोनों जगहों पर इसकी आशंका है इसके लिए उन्होंने मतगणना के रहने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को सजग और सचेत रहने यह भी निर्देश दिया है”.

श्री चौबे ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जो लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें अपने दामन में देखना चाहिए. थोड़े दिन पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जब कांग्रेस को जीत मिली तो उन्होंने ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाया था. तब ईवीएम ठीक था. लेकिन आज अपनी हार को देखकर उनको ईवीएम खराब लगने लगा. इसी को कहा जाता है - 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे".
विपक्षी पार्टियों को अपनी हार का बहाना खोजने के बजाय आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है. अगर उन्होंने जनता के लिए कुछ भी काम किया रहता तो आज उनकी स्थिति ऐसी नहीं रहती. लेकिन आकंठ भ्रष्टाचार,भाई भतीजावाद, पारिवारिक व जातिवादी राजनीति में डूबे विपक्ष को जनता के काम की चिंता कहां है? जनता ने राष्ट्रहित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से जनमत देकर सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है. विपक्ष इसी बात से चिढ़ कर अपनी हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है”.

उधर जदयू नेता संजय सिंह ने कहा है कि चुनाव में सुनिश्चित हार के चलते विपक्षी नेता मानसिक संतुलन खो बैठे हैं. जिसके चलते वह अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें मतगणना के बाद जनता का जवाब मिल जाएगा. साथ ही साथ जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रदेश महासचिव चक्रवर्ती चौधरी ने भी इस तरह के बयान की निंदा की है तथा कहा है कि रामचंद्र यादव अथवा कोई अन्य व्यक्ति लोकतंत्र में जनता के फैसले का सम्मान सभी को करना चाहिए तथा इस तरह की बयानबाजी का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है.











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