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पहल: शहरों के तर्ज पर अब गाँवों में भी होगा डोर टू डोर कचरा उठाव ..

बताया जा रहा है कि पंचायतों में जीविका संगठनों अथवा आउटसोर्सिंग के जरिए इस तरह का कार्य शुरू कराया जाएगा. इस कार्य के लिए 10 लाख सालाना का खर्च आने की संभावना है. पंचायत 14 वें वित्त आयोग के अनुदान व पंचम राज्य वित्त आयोग के अनुदान इस खर्च को कर सकती है

- पंचायती राज विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को लिखा पत्र

- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधान सचिव देंगे निर्देश.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: ग्रामीण विकास की संकल्पना के साथ सरकार अब गांवों को शहरों की तर्ज पर विकसित करने की योजनाएं बना रही है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में युद्धस्तर पर शौचालयों के निर्माण के पश्चात अब अगली कड़ी में गाँवो में भी शहरों की तर्ज पर डोर टू डोर कचरा उठाव की व्यवस्था की जानी है. सफाई कर्मी शहरों की तरह प्रतिदिन स्वच्छता की सीटी बजाते हुए हर घर पर दस्तक देंगे. इस योजना के कार्यान्वयन के लिए बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इसमें पहल करने की बात कही है. बताया जा रहा है कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के मौके पर ही इस योजना पर पहल शुरू हो गई थी, जिसे अब मूर्त रूप दिया जाना है. योजना के कार्यान्वयन को लेकर प्रधान सचिव सभी जिलों के जिलाधिकारियों तथा पंचायती राज पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस विषय में विचार-विमर्श करेंगे. तथा उन्हें आवश्यक निर्देश प्रदान करेंगे. माना जा रहा है कि जून के अंत अथवा जुलाई के प्रथम सप्ताह से यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हो जाएगी.

जीविका संगठनों अथवा आउटसोर्सिंग के द्वारा कराया जाएगा कार्य:

बताया जा रहा है कि पंचायतों में जीविका संगठनों अथवा आउटसोर्सिंग के जरिए इस तरह का कार्य शुरू कराया जाएगा. इस कार्य के लिए 10 लाख सालाना का खर्च आने की संभावना है. पंचायत 14 वें वित्त आयोग के अनुदान व पंचम राज्य वित्त आयोग के अनुदान इस खर्च को कर सकती है. हालांकि, पंचायत आम सहमति से लोगों से स्वच्छता शुल्क भी वसूल सकती है.


कचरा प्रबंधन के लिए बाँटे जाएंगे नीले तथा हरे डस्टबिन:

इस अभियान के तहत ठोस तथा गीला कचरा प्रबंधन की व्यवस्था भी की जाएगी. जिसके लिए गांवों के प्रत्येक घरों में गीला एवं सूखा कचरा अलग अलग संग्रहित करने के लिए शहरों की तर्ज पर हरे तथा नीले रंग के डस्टबिन लोगों को प्रदान किए जाएंगे जिनमें वह गीला तथा सूखा कचरा अलग-अलग रखेंगे ताकि उन्हें पुनर्चकृत करने में सहूलियत हो. बताया जा रहा है कि हर वार्ड में एक ठेला गाड़ी की व्यवस्था की जाएगी, जिसको लेकर सफाई कर्मी डोर टू डोर पहुंचकर कचरे का उठाव करेंगे.

कचरा लाएगा खेतों में हरियाली, वर्मी कंपोस्ट ईकाइयों की होगी स्थापना: 

बताया जा रहा है कि जहां ठोस कचरा पुनर्चक्रण करने के लिए बाहर भेज दिया जाएगा. वहीं गीले कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए एक गांव में ही ईकाइयों की स्थापना की जाएगी, जहां गीले कचरे से जैविक खाद बनाया जाएगा. इससे एक तरफ जहां कचरे का प्रबंधन हो जाएगा वहीं गांव के किसानों को ग्रामीण स्तर पर ही बेहतरीन खाद मिल जाया करेगी.

कहते हैं अधिकारी:

शहरों की तर्ज पर अब गांव से भी दो टू डोर कचरा का उठाव किया जाएगा. जिसके लिए पंचायती राज विभाग से पत्र प्राप्त हुआ है आगामी 1 जून को प्रधान सचिव इस संदर्भ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा आवश्यक निर्देश देंगे जिसके बाद कार्य योजना बनाकर यह कार्य किया जाएगा.

नवनील कुमार,
पंचायती राज पदाधिकारी









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