वीडियो: इस वजह से जिले में बढ़ी अति कुपोषित बच्चों की संख्या, 15 दिन में भर्ती कराए गए 36 बच्चे ..
उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों से उचित मात्रा में पोषाहार नहीं प्राप्त होता है. जिसके कारण बच्चों की हालत हुई है. अपने बच्चे को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र में पहुंचे सदर प्रखंड के कम्हरिया गांव की रहने वाली महिला ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान भी उसे आंगनबाड़ी केंद्र से 90 की जगह केवल 30 आयरन की गोलियां मिली थी.
- चिकित्सकों ने कहा, उचित पोषण नहीं मिलने के कारण हुआ है यह हाल.
- आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार वितरण में अनियमितता की सामने आई बात.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले नावानगर प्रखंड में पाँच कुपोषित बच्चों के मिलने के पश्चात अब बक्सर में भी अति कुपोषित पांच बच्चों को सदर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया है. इन बच्चों के भर्ती होने के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र में रह रहे बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. कुपोषित बच्चों की बढ़ती संख्या ने एक साथ कई सवालों को जन्म दिया है. हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों की मानें तो मामलों की तादाद बढ़ने का कारण आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषाहार का सही ढंग से वितरण ना हो पाना है.
कहती हैं चिकित्सिका, आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं मिला पोषाहार:
मामले की जानकारी देते हुए पुनर्वास केंद्र के प्रभारी डॉ. अमिता कुमारी ने बताया कि उनके यहां पाँच नए बच्चों को भर्ती कराया गया है जिनमें से तीन सदर प्रखंड के बक्सर नगर स्थित सिविल लाइन मोहल्ले के धोबी घाट के रहने वाले हैं. वहीं, दो अन्य बच्चे सदर प्रखंड के कम्हरिया गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि सभी बच्चे अति कुपोषित हैं. डॉ. अमिता ने स्वीकार किया कि इस स्तर तक कुपोषण पहुंचने का कारण आंगनबाड़ी केंद्रों पर लापरवाही बरतना है. उन्होंने बताया कि इन बच्चों को उचित मात्रा में पोषाहार नहीं मिला है. जिसके कारण उनकी स्थिति हुई है.
15 दिन में भर्ती हुए 36 अति कुपोषित बच्चे:
डॉ. अमिता ने बताया कि उनके यहां केवल जुलाई माह में ही 36 अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया है. बच्चों के परिजनों से बात करने पर यह बताया गया कि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों से उचित मात्रा में पोषाहार नहीं प्राप्त होता है. जिसके कारण बच्चों की हालत हुई है. अपने बच्चे को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र में पहुंचे सदर प्रखंड के कम्हरिया गांव की रहने वाली महिला ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान भी उसे आंगनबाड़ी केंद्र से 90 की जगह केवल 30 आयरन की गोलियां मिली थी. वहीं, उसके बच्चे के टीकाकरण वगैरह की भी उचित व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्र पर नहीं की गयी थी.
क्या मिलता है लाभ:
डॉ अमिता ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में 1 माह से 59 माह तक के बच्चों को रखा जाता है। बच्चों के साथ साथ एक परिजन को भी यहां रखा जाता है. जिन्हें मुफ्त में भोजन के साथ-साथ साबुन, सर्फ तथा अन्य जरूरी सामानों को भी दिया जाता है. साथ ही साथ बच्चे के साथ पहुंचे उसकी माँ अथवा परिजन को 50 प्रतिदिन के हिसाब से एक सहायता राशि भी प्रदान की जाती है. यही नहीं, उनके पोषण पुनर्वास केंद्र तक आने तथा फिर वापस अपने गांव जाने के लिए उन्हें बतौर किराया कुल 100 रुपये अतिरिक्त दिए जाते हैं. इसके साथ ही कुपोषित बच्चे को लेकर पुनर्वास केंद्र में पहुंचाने वाली आशा को भी आने-जाने के खर्च के अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिलाकर कुल 150 रुपये की राशि दी जाती है.
ऐसे किया जाता है बच्चों का इलाज:
केंद्र के प्रभारी ने बताया कि उनके यहां आने वाले बच्चों की जांच उनके वजन के अनुसार उनकी लंबाई अथवा उम्र के अनुसार वजन तथा बाँह की गोलाई के आधार पर की जाती है. अति कुपोषित बच्चों को पहले 3 दिनों तक स्टार्टर डाइट दिया जाता है. जिसमें उन्हें दूध, चीनी, मुरमुरा पाउडर तथा रिफाइंड तेल की निर्धारित मात्रा दी जाती है. तीन दिन बाद उनका यह डोज धीरे-धीरे बढ़ता है तथा 5 दिनों के पश्चात बच्चे के पोषाहार की मात्रा बढ़ाई जाती है. जो उसके पूर्ण स्वस्थ होने तक चलती है.
बयान:
पोषण पुनर्वास केंद्र में अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया है. जिनको उचित पोषाहार देते हुए उनका इलाज किया जा रहा है. ऐसा देखने को मिल रहा है कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को उचित पोषाहार नहीं दिया जा रहा.
डॉ. अमिता कुमारी
डाइटीशियन सह प्रभारी,
पोषण पुनर्वास केंद्र, बक्सर
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