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वर्ल्ड फेमस लिट्टी-चोखा खाकर सम्पन्न हुई पंचकोशी यात्रा ..

तत्पश्चात लोगो ने समूह बनाकर पारम्परिक भोजन लिट्टी-चोखा का बना कर उसका प्रसाद ग्रहण किया. इस दौरान गंगा का तटीय इलाका और बक्सर के किला मैदान में मेले जैसा नजारा दिखा. 
चरित्रवन में लिट्टी बनाती महिलाएं

- दूर दराज से पहुंचे थे श्रद्धालु, गंगा स्नान के बाद किया लिट्टी चोखा का भोजन
- विधि-व्यवस्था को लेकर मुस्तैद रही पुलिस,
- सदर विधायक समेत विभिन्न संगठनों ने आयोजित किया था भोज.
सदर विधायक के द्वारा आयोजित लिट्टी-चोखा भोज

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: ऐतिहासिक पंचकोशी मेले को लेकर महर्षि विश्वामित्र की नगरी बक्सर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची. बक्सर के अतिरिक्त दूर-दराज के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहले लाखों लोगो ने बक्सर के रामरेखा घाट पर गंगा स्नान कर मंदिरो में पूजा अर्चना की. तत्पश्चात लोगो ने समूह बनाकर पारम्परिक भोजन लिट्टी-चोखा का बना कर उसका प्रसाद ग्रहण किया. इस दौरान गंगा का तटीय इलाका और बक्सर के किला मैदान में मेले जैसा नजारा दिखा. 
रेडक्रॉस परिसर में आयोजित लिट्टी-चोखा भोज में पहुंचे लोग

बक्सर के पंचकोशी मेले को लेकर देर रात से ही लोगो का आवागमन शुरू हो गया था. भीड़ के कारण पूरे शहर में खासी भीड़ देखने को मिली. उधर, भारी संख्या में पहुंचे लोगो ने बक्सर के ऐतिहासिक रामरेखा घाट पर गंगा में डुबकी लगाई और पवित्र स्नान के बाद पहले पूजा-अर्चना का दौर चला. लोगो ने मंदिरो में पूजा अर्चना की और सपरिवार सुख और समृद्धि की कामना की. इस दौरान लोगो ने दान पुण्य भी किया. दूर-दराज से पहुंचे लोगो ने सुबह के तीन बजे से पूजा-पाठ शुरु किया जो सुबह सात बजे तक अनवरत चलता रहा ततपश्चात लिट्टी-चोखा बनाने-खाने की तैयारी में लग गए. सुबह से शुरू यह आयोजन देर शाम  तक चलता रहा. पंचकोशी मेले के दौरान बक्सर पहुंचे लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला लोगों ने वर्ल्ड फेमस लिट्टी चोखा की विशेषताओं पर भी चर्चा की. 
रामरेखा घाट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सदियों से बक्सर की पावन धरती पर लगनेवाले पंचकोशी मेला का इतिहास काफी पुराना है. इस मेले का सरोकार सीधे भगवन श्रीराम से है. ऐसी मान्यता है की भगवान श्रीराम जब विश्वामित्र नगरी पहुंचे तब ताड़का वध के बाद उन्होंने पांच ऋषियों के आश्रमों की यात्रा की. बताया जाता है कि, सबसे उन्होंने अहिल्या धाम अहिरौली में माता अहिल्या का उद्धार कर श्रीराम ने पुआ खाकर इस आयोजन की शुरुआत की थी.  इस दौरान भगवान राम ने बक्सर के कुल पांच जगहों का भ्रमण किया और जहाँ जो कुछ खाया उस व्यंजन को लोग प्रसाद समझकर खाते हैं. पंचकोशी यात्रा के अंतिम पड़ाव में भगवान श्रीराम ने बक्सर में लिट्टी चोखा खाकर विदा ली थी. यह त्रेता युग की है जब बक्सर का पौराणिक नाम व्याघ्रसर था. उस वक्त मुनि विश्वामित्र ने भगवान राम को वर्तमान बक्सर के आध्यात्मिक वैभव से अवगत कराया था. 
रामेश्वर नाथ मंदिर में पूजन-अर्चन करते लोग

पंचकोश यात्रा के दौरान आयोजित पंचकोश मेले में काफी संख्या में लोग दूर दराज से आते है लिहाजा भीड़भाड़ को देखते हुए पुलिस भी काफी अलर्ट है. जगहजगह सादे-लिबास के अलावे वर्दीधारियों को सुरक्षा जवानो को के अलावे अधिकारी भी मुस्तैद दिखे. इसके अतिरिक्त सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के साथ-साथ रेडक्रॉस एवं महिला विकास मंच के बैनर तले लिट्टी चोखा भोज का आयोजन किया गया था.



















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