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गुरु के चरण रज से होता है मनुष्य का कल्याण - मोरारी बापू

कहा कि, रज आंख में पड़े तो आंख बंद हो जाती है परंतु वही रज यदि गुरु चरण से होकर आंख में पड़े तो जन्म जन्म तक जन्मांतर के लिए आंख खुल जाती है. बापू ने गौतम ऋषि को न्याय का प्रवर्तक बताते हुए कहा कि, जब अहिल्या को श्राप दे गौतम के मन में पश्चाताप हुआ तो प्रायश्चित करने के लिए वह हिमालय चले गए.
- दूर दराज से कथा का श्रवण करने पहुंच रहे श्रोता.
- मोरारी बापू ने की रज की सुंदर व्याख्या.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: राम की शिक्षा तथा अहिल्या का उद्धार भूमि एक बार फिर राम नाम से गुंजायमान हो चुकी है. राष्ट्रसंत तथा बक्सर के भांजे के रूप में विख्यात मोरारी बापू के श्री मुख से राम कथा का श्रवण करने के लिए न सिर्फ बक्सर नगर से बल्कि जिले के दूर-दराज से श्रद्धालु प्रतिदिन बक्सर पहुंच रहे हैं. जहां वह सुबह 9:30 बजे से लेकर दिन के 1:30 बजे तक राम कथा की भक्ति रस धारा में गोते लगा रहे हैं.

राम कथा के चौथे दिन अहिल्या उद्धार प्रसंग के अंतर्गत चौथे दिन की कथा में बापू ने कहा कि, गुरु चरण रज आदमी का निर्माण करती है  रज की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि, रज भोग के साथ जुड़ती है तो हमें नुकसान पहुंचाती है. जैसे कि, इंद्र के साथ जबरन जुड़ा तो अहिल्या को शिला बना दिया और रज जब सत्पुरुष के चरणों के साथ जुड़ती है तो उद्धार करती है. जिस प्रकार राम के चरण रज ने अहिल्या का उद्धार कर दिया.

मोरारी बापू ने कहा कि, रज आंख में पड़े तो आंख बंद हो जाती है परंतु वही रज यदि गुरु चरण से होकर आंख में पड़े तो जन्म जन्म तक जन्मांतर के लिए आंख खुल जाती है. बापू ने गौतम ऋषि को न्याय का प्रवर्तक बताते हुए कहा कि, जब अहिल्या को श्राप दे गौतम के मन में पश्चाताप हुआ तो प्रायश्चित करने के लिए वह हिमालय चले गए.

बापू ने कहा कि, रघुपति के आश्रम से शाश्वत आनंद की प्राप्ति होती है. उन्होंने भजन की महिमा प्रधान बताते हुए कहा कि, भजन दिशा से नहीं बस से होता है और ब्रह्म परीक्षा नहीं प्रतीक्षा के विषय हैं. लेकिन, बुद्धि प्रधान लोग बिना परीक्षा के किसी बात को मानते ही नहीं. पूज्य बापू ने नशीले पदार्थ और मांसाहार को त्यागने की भी अपील उपस्थित भक्तों से की और कहा कि भोजन वैसा ही करें जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हो.



















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