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अंचलाधिकारी ने उड़ाई हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां ..

लेकिन, अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी के कारण इस आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी गई. तीन महीने के अंदर भुगतान करने के बदले छह महीने का भी समय बीत गया लेकिन, प्रधान लिपिक बिल पत्र बनाकर ट्रेजरी में नहीं भेज सकें.

- अपने ही कार्यालय के सेवानिवृत्त कर्मी के पेंशन भुगतान का है मामला
- तीन माह में करना था वेतन का भुगतान छह माह बीत जाने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी ब्रह्मपुर के अंचल कार्यालय द्वारा अपने ही विभाग के सेवानिवृत्त प्रधान लिपिक के पेंशन का भी पत्र नहीं भेजा गया. लिहाजा कोर्ट द्वारा तीन माह के अंदर ही भुगतान करने का आदेश बेमानी साबित हो रहा है. स्थिति यह है कि, अब तकरीबन छह माह का समय बीत जाने के बावजूद कर्मचारी को पेंशन की बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ.

इस बाबत मिली जानकारी के मुताबिक ब्रह्मपुर अंचल के प्रधान लिपिक प्रेम शंकर उपाध्याय एक साल पहले ही सेवानिवृत्त हो गए लेकिन, विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा पेंशन विपत्र में गड़बड़ी कर उनको मिलने वाले रुपयों में कटौती कर दी गई. इस विषय में उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारियों से बातचीत की लेकिन जब विभाग के अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने पटना हाईकोर्ट में एक परिवाद दायर किया.

15 जुलाई को हाईकोर्ट ने दिया था आदेश:

हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए 15 जुलाई को ही अपने आदेश में तीन महीने के अंदर पेंशन में कटौती की गए रुपयों का भुगतान करने का आदेश दिया था. इस आदेश पर जिलाधिकारी ने स्थापना के उप समाहर्ता को अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया. स्थापना उप समाहर्ता विकास कुमार जायसवाल ने इस संदर्भ में ब्रह्मपुर के अंचलाधिकारी के पास पत्र भेजकर पेंशन में कटौती के रुपयों के बिल विपत्र को शीघ्र ही ट्रेजरी में भेजकर इसकी सूचना मुख्यालय को देने का आदेश दिया. लेकिन, अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी के कारण इस आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी गई. तीन महीने के अंदर भुगतान करने के बदले छह महीने का भी समय बीत गया लेकिन, प्रधान लिपिक बिल पत्र बनाकर ट्रेजरी में नहीं भेज सकें.

इस संदर्भ में ब्रम्हपुर अंचलाधिकारी विकास कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि, न्यायालय का आदेश उन्हें प्राप्त हुआ है तथा वह शीघ्र ही इस विषय में पहल करते हुए विपत्र भेजना सुनिश्चित करेंगे. हालांकि, अब तक हुई देरी के संदर्भ में उन्होंने कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
















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