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आपराधिक घटनाओं से अपने ही जिले को दहलाने वाला चंदन कर रहा था स्क्रैप का कारोबार

आसपास के किसी भी व्यक्ति को उसके हिस्ट्रीशीटर होने की जानकारी नहीं थी. इस दौरान जब शुक्रवार की सुबह जब डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के निर्देश में गठित एसटीएफ के चुनिंदा अफसरों की टीम ने उसे दबोचा तो सभी उसके कारनामे के बारे में सुनकर हतप्रभ हो गए. 


- अवैध हथियारों समेत विभिन्न मामलों में पुलिस कर रही है पूछताछ.
- नाम बदल कर रह रहा था पकड़ा गया अपराधी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर में अपने गैंग के माध्यम से आपराधिक घटनाओं को संचालित कर रहा चंदन गुप्ता स्क्रैप के कारोबार से जुड़ गया था इस बात की भनक एसटीएस को लग गई थी जिसके बाद उस पर नजर रखी जा रही थी. वह पश्चिम बंगाल के मालदह और दुर्गापुर आदि शहरों में रहकर स्क्रैप का कारोबार करता था. जिसकी भनक एसटीएफ के चुनिंदा अफसरों को लग गई थी. कई दिनों रेकी करने के बाद उसे अंतत: धर दबोचा गया. पकड़े गए अपराधी को शनिवार को बक्सर लाया गया जहां उससे डुमराँव थाने में पूरे दिन पूछताछ होती रही. बताया जा रहा है कि पूछताछ में उसने जिले में उसके द्वारा कारित कई अपराधिक घटनाओं के विषय में जानकारी दी है.

नाम बदल कर रह रहा था अपराधी:

बताया जा रहा है कि, चंदन गुप्ता अपना नाम बदलकर रहता था. इस दौरान गुप्तचर और मोबाइल सर्विलांस की मदद से वह अंतत: एसटीएफ के चुनिंदा अफसरों के हत्थे चढ़ गया. अगर एसटीएफ सूत्रों की मानें तो 50 हजार रुपये का इनामी मोस्ट वांटेड चंदन गुप्ता पश्चिम बंगाल में पहचान छिपाने के लिए नाम बदलकर सूरज नाम से रहता था. मालदह जिला के वैष्णों नगर के सड़क किनारे स्थित एक मकान में किराए पर कमरा ले रखा था. आसपास के किसी भी व्यक्ति को उसके हिस्ट्रीशीटर होने की जानकारी नहीं थी. इस दौरान जब शुक्रवार की सुबह जब डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के निर्देश में गठित एसटीएफ के चुनिंदा अफसरों की टीम ने उसे दबोचा तो सभी उसके कारनामे के बारे में सुनकर हतप्रभ हो गए. 

डीजीपी ने चुनिंदा ऑफिसरों को दी थी जिम्मेदारी:

उसके पकड़े जाने की सूचना जब मुख्यालय, पटना में बैठे एसटीएफ के सीनियर अफसरों को मिली तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई. जिसके बाद इस सफलता की सूचना पुलिस महकमे के मुखिया गुप्तेश्वर पांडेय को दी. चूंकि, पकड़ा गया वांटेड चंदन गुप्ता उन्हीं के गृह जिला से जुड़ा था. इसलिए एसटीएफ के आईजी से लेकर एसपी तक उसकी गिरफ्तारी को एक चुनौती के रूप में लिया था. पिछले छह महीने से इस योजना पर काम चल रहा था. खुद डीजीपी ने एसटीएफ के चुनिंदा अफसरों को बुलाकर उसकी गिरफ्तारी की जिम्मेवारी सौंपी थी और अंतत: सफलता मिल गई. 

कभी था शेरु के गैंग का शूटर अब  बना लिया अपना गैंग: 

पकड़ा गया मोस्ट वांटेड चंदन गुप्ता वैसे तो बक्सर जिला के डुमरांव थाना के कसियां गांव का मूल निवासी हैं, लेकिन, उसके आपराधिक इतिहास की फेहरिस्त काफी लंबी है. गैंग ने शाहबाद के बक्सर, रोहतास और भोजपुर के अलावा सीवान जिला में भी कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. सरकारी रिकार्ड के अनुसार अकेले बक्सर जिला में अभी तक हत्या, लूट और आर्म्स एक्ट के 11 मामले मिले हैं. इसके अलावा रोहतास जिला के सासाराम में ठेकेदार धनंजी सिंह समेत उसके तीन साथियों की हत्या से जुड़े मामले में भी वह फरार चला आ रहा था. इस गैंग से जुड़े तीन मामले आरा नगर, नवादा और जगदीशपुर थाना क्षेत्र में दर्ज है. कभी गैंग का संचालन बक्सर का कुख्यात शेरू सिंह किया करता था. वर्तमान में वह भागलपुर केन्द्रीय कारा में बंद हैं. बाद में चंदन गुप्ता ने खुद का अपना गैंग बना लिया था.


अवैध हथियारों के बारे में नहीं खोला मुंह: 

चंदन को गिरफ्तार करने के फिराक में जुटी एसटीएफ टीम को एक महत्वपूर्ण तस्वीर भी हाथ लगी थी. एसटीएफ को गुप्तचरों के जरिए जानकारी मिली थी कि तस्वीर में कैद छह अत्याधुनिक हथियार चंदन गिरोह से ही जुड़े है. इसलिए एसटीएफ के अफसर तस्वीर में कैद हथियारों को दिखाकर उसके बारे में लगातार पूछताछ करते रहे. हालांकि, पकड़े गए चंदन गुप्ता ने उपरोक्त हथियारों के बारे में साफ अनभिज्ञता जाहीर की. एसटीएफ के हाथ जो तस्वीर हाथ लगी हैं,उसमें एके-47 समेत कई अत्याधुनिक हथियार दिखाई दे रहे है. मालमू हो कि 10 अक्टूबर वर्ष 2017 को रोहतास के बराढ़ी गांव के समीप हथियार बंद अपराधियों ने स्कार्पियो पर अंधाधुंध फायरिंग कर ठेकेदार धनजी सिंह समेत तीन साथियों की हत्या कर दी थी. धनजी सिंह पूर्व में रोहतास के पंचपोखरी हथियार के आरोपी रहे थे. धनजी सिंह को कभी रणवीर सेना कमांडर के रूप में भी जाना जाता था.

तीन राज्यों के सात शहरों में बना रखा था अपना ठिकाना

बक्सर, रोहतास और भोजपुर जिले में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा चंदन गुप्ता पुलिस से बचने के लिए लगातार अपना ठिकाना भी बदलता रहता था. किसी भी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद वह महाराष्ट्र के मुंबई, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, दुर्गापुर, बीरभूम , मालदह और गुवाहाटी में छिपकर और नाम बदलकर रहता था.
















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