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डुमरांव महाराज के निधन पर अधिवक्ताओं ने जताया शोक, न्यायालय में नो वर्क की घोषणा ..

उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि, महाराजा डुमरांव श्री कमल बहादुर सिंह के निधन के साथ ही  एक अध्याय का समापन हो गया. महाराज 1949 से 1952 तक डुमराव रियासत के महाराजा रहे. 1952 से 1962 तक प्रथम और द्वितीय लोकसभा सत्र में बक्सर का प्रतिनिधित्व किया.

- अधिवक्ताओं ने आयोजित की शोक सभा
- महासचिव ने की सोमवार को नो वर्क की घोषणा.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डुमराँव महाराज कमल सिंह के निधन के बाद बक्सर के अधिवक्ताओं ने शोक व्यक्त किया है. इसके साथ ही व्यवहार न्यायालय में नो-वर्क की घोषणा की गई है.

जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव गणेश ठाकुर ने महाराज के निधन पर नो वर्क की घोषणा की है. उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि, महाराजा डुमरांव श्री कमल बहादुर सिंह के निधन के साथ ही  एक अध्याय का समापन हो गया. महाराज 1949 से 1952 तक डुमराव रियासत के महाराजा रहे. 1952 से 1962 तक प्रथम और द्वितीय लोकसभा सत्र में बक्सर का प्रतिनिधित्व किया.

बाद के दिनों में भी भारतीय जनता पार्टी  के उम्मीदवार के तौर पर वह चुनाव लड़े पर सफलता नहीं मिली. बचपन में हम लोग चुनाव के वक्त नारा लगाया करते थे. "कमल सिंह का कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान ..."चुनाव में उनका अक्सर आना हुआ करता था. काफी विनम्र और सरल स्वभाव के थे महाराज. महाराजा के निधन के साथ ही प्रथम लोकसभा का अंतिम सांसद और परमार वंश (उज्जैन राजपूत) का पूर्वी क्षेत्र का संभवत अंतिम राजा नहीं रहा. महाराज का निधन बक्सर जिला के हर  वर्ग के लिए बहुत बड़ी क्षति है बक्सर जिले के आन बान शान थे.

महाराज के निधन पर आयोजित शोक सभा मे महासचिव गणेश ठाकुर के साथ ही वरीय अधिवक्ता शशिकान्त उपाध्याय उर्फ़ सरोज उपाध्याय, दयासागर पाण्डेय, महेंद्र कुमार चौबे उर्फ़ मथुरा चौबे, विनोद कुमार मिश्रा, मनोज कुमार सिंह, बरमेश्वर सिंह, मनीष कुमार, उमेश कुमार, राजीव कुमार राय, चन्द्रविजय कुमार, ज्ञानेन्द्र कुमार द्विवेदी, अरविंद कुमार पाण्डेय, तेजप्रताप सिंह उर्फ़ छोटे, राघव कुमार पाण्डेय, राजेश कुमार, विजय भूषण सहाय उर्फ़ राजकुमार के साथ साथ सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे.


















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