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सार्थक विमर्श की परंपरा को संरक्षित करना सबकी जवाबदेही - डॉ. राकेश सिन्हा

उन्होंने कहा कि आज वह समय है जब यह सोचने की आवश्यकता है कि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के द्वारा हम दारा शिकोह के पक्ष में खड़े हैं या औरंगजेब के पक्ष में. डॉ. सिन्हा ने कहा कि बक्सर की भूमि ज्ञान एवं विद्या तथा सेवा की भूमि है. इस भूमि पर पहुंच कर मैं धन्य हो गया. उन्होंने कहा कि तर्क की परंपरा में विश्वास रखना चाहिए तलवार की परंपरा में नहीं.

- भोला शंकर बंधु स्मृति व्याख्यानमाला का हुआ आयोजन
- "नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की फ़ासीवादी मनोवृति" पुस्तक का लोकार्पण.

बक्सर टॉप न्यूज़
, बक्सर: "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देश की साझी जिम्मेदारी है, सार्थक विमर्श की सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षित और विकसित करना हम सब की जवाबदेही है." उक्त बातें राज्यसभा सांसद सह संघ विचारक डॉ राकेश सिन्हा ने नगर भवन में आयोजित व्याख्यानमाला के दौरान कही. उन्होंने कहा कि, हिंदू धर्म सभ्यता और संस्कृति अपने मूल स्वरूप में प्रयोग धर्मी है. मानवता के इस प्रयोगशाला को बचाना ही विश्व की सबसे बड़ी चुनौती है. डॉ. सिन्हा ने कहा कि, भारत में विचारों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है. यहां विचारों की चौकीदारी नहीं होती. जिस समाज में विचारों की चौकीदारी होती है उसका पतन के गर्त में जाना तय है. संभावनावादी धर्म और गैर संभावनावादी के बीच में चलने वाले इस युद्ध में सबको विकल्प तलाशने की आवश्यकता है.


उन्होंने कहा कि आज वह समय है जब यह सोचने की आवश्यकता है कि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के द्वारा हम दारा शिकोह के पक्ष में खड़े हैं या औरंगजेब के पक्ष में. डॉ. सिन्हा ने कहा कि बक्सर की भूमि ज्ञान एवं विद्या तथा सेवा की भूमि है. इस भूमि पर पहुंच कर मैं धन्य हो गया. उन्होंने कहा कि तर्क की परंपरा में विश्वास रखना चाहिए तलवार की परंपरा में नहीं. इसके पूर्व दिन में तकरीबन 1:30 बजे पहुंचे राज्यसभा सांसद डॉ.राकेश सिन्हा, मदन मोहन राय, राणा प्रताप सिंह, डॉ. स्वामीनाथ तिवारी और राजेंद्र प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर तथा भारत माता एवं भोला शंकर बंधु के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया.


विषय प्रवर्तन करते हुए राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, स्वतंत्रता एक गुरुत्तर उत्तरदायित्व है, न कि स्वछंदता का पर्याय. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक राणा प्रताप सिंह ने कहा कि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पूर्व हमारे अंदर एक सचेत नागरिक का दायित्व बोध होना आवश्यक है. विशिष्ट अतिथि इंजीनियर मदन मोहन राय ने कहा कि, भोला शंकर बंधु के जीवन का कण-कण और समाज के लिए समर्पित था.


कार्यक्रम में डॉ. राकेश सिन्हा द्वारा पूर्व विधायक डॉ. स्वामीनाथ तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक "नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में नव फासीवादी मनोवृति" का लोकार्पण किया. कार्यक्रम का संचालन संयोजक राजेश सिन्हा एवं धन्यवाद ज्ञापन विमल कुमार सिंह ने किया. कार्यक्रम में राम वकील राय, राजेश प्रताप, चंदन प्रकाश, डॉ. रमेश कुमार, प्रदीप पाठक, रत्ना मिश्रा, सरिता बंधु, दीप नारायण राय, मुन्ना केशरी, ओम रतन, नंद जी वर्मा, विवेक सिंह, सौरभ तिवारी, चंद्रभूषण ओझा, उमा शंकर पांडेय, परशुराम चतुर्वेदी, पूर्व विधायक डॉ सुखदा पांडेय, सत्येंद्र कुँवर, पवननंदन केशरी, अतुल मोहन प्रसाद, राधा कृष्ण सिंह, त्रिभुवन पांडेय, रवि रंजन प्रसाद, स्नेहाशीष वर्धन, जगदीश चंद्र पांडेय, प्रोफेसर भरत चौबे, प्रोफेसर महेश दत्त सिंह, अनीता यादव, मनीष कुमार, ज्वाला सैनी, निर्भय राय सहित कई प्रबुद्ध जन मौजूद रहे.














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