बड़ी ख़बर: भ्रष्टाचारी मुखिया के हटने के बाद भी दर्जनों मुखिया प्रशासन के रडार पर ..
विकास राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र विभागों को अभी तक नहीं मिल पाया है. अनुमंडल की वैसी पंचायतें जो महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, वहां महिला मुखिया का दायित्व उनके परिवार के अन्य स्वजन निभा रहे हैं.
- वित्तीय अनियमितता के मामलों में उलझे हैं दर्जनों मुखिया.
- अंतिम चरण में हैं प्रशासनिक जांच प्रक्रिया, मची खलबली.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पंचायती राज अधिनियम के तहत पंचायत के मुखिया को मिले अधिकार अब उनके लिए मुसीबत का सबब बनने जा रहा है. जो वित्तीय अनियमितता के जाल में बुरी तरह फंस चुके हैं. सिमरी प्रखंड के काजीपुर मुखिया अख्तर अली के पदमुक्ति की कारवाई के बाद अब वित्तीय अनियमतता की जद में फंसे अन्य मुखिया पर प्रशासनिक कार्रवाई के संकेत मिलने लगे हैं.
पंचायत में विकास मद की राशि की बंदरबांट करने वाले मुखिया पर प्राथमिकी की गाज भी गिर सकती है. प्रतिनिधियों की संख्या अनुमंडल इलाके में दर्जनों बताई जा रही है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में मनरेगा अंकेक्षण के दौरान भी यह बात खुलकर सामने आई थी. बीते तीन-चार साल में मनरेगा, 13वें वित्त आयोग सहित स्वच्छता कार्यकम के तहत पंचायतों को करोड़ों रुपये की राशि विकास मद में दी गई है. विकास राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र विभागों को अभी तक नहीं मिल पाया है. अनुमंडल की वैसी पंचायतें जो महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, वहां महिला मुखिया का दायित्व उनके परिवार के अन्य स्वजन निभा रहे हैं.
प्रशासनिक बैठकों और प्रशिक्षण शिविरो के दौरान सरकार के स्तर पर पंचायतों को आवश्यक दिशा-निर्देश समय-समय पर मिलता रहा है. लेकिन, संबंधित मुखिया तकनीकी पहलू को लेकर उदासीन रहे हैं. अब उनका कच्चा चिट्ठा सामने आ रहा है. जिला प्रशासन के कड़े तेवर के बाद अब विभागीय अधिकारियों सहित पंचायत मुखिया एवं सचिवों में खलबली मची है. आनन-फानन में योजना स्थल पर प्राक्कलन बोर्ड लगाने और कार्य शुरू कराने की तैयारी चल रही है. जाहिर है कि विभागीय साठ-गांठ से विकास राशि की लूट के मामले में पंचायत स्तर पर मुखिया, कार्यक्रम पदाधिकारी, लेखापाल जेई, पीटीए, पं.रो.सेवक एवं पंचायत सचिव जिला प्रशासन के रडार पर हैं. बताते चलें कि, पंचायतों में वित्तीय अधिकारों को लेकर मुखिया पर पूरी जवाबदेही होती है. पंचायती राज अधिनियम के तहत वे इस जिम्मेदारी से पीछे भी नहीं हट सकते. पंचायतों में विकास राशि के व्यय को लेकर सभी मुखिया को उपयोगिता प्रमाण-पत्र देना होता हैं. मनरेगा अंकेक्षण के समय जो तथ्य उभरकर सामने आए हैं. उससे मुखियों के लिए वित्तीय अनियमितता परेशानी का सबब बन सकती है.
कहते हैं अधिकारी:
कोई भी पंचायत प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों से विमुख नहीं हो सकता. किसी भी मुखिया के विरुद्ध वित्तीय अनियमितता या अन्य किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात सामने आने पर उनके विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई सुनिश्चित है.
नवनील कुमार,
पंचायती राज पदाधिकारी
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