परिवार के साथ समय बिताने के सपने को जनता कर्फ्यू ने किया पूरा ...
तीन पीढियां एक साथ घर बैठी थी. उन्होंने बताया कि, रविवार को भी कभी शायद ही घर में रहने की फुर्सत मिलती है. कोरोना से जंग ने रविवार को वह खुशी महसूस करने का मौका सबको दिया, जिसके लिए वे लोग तरसते हैं.
कर्फ़्यू के दौरान लूडो खेलते दादा और पोती |
- किसी ने खेला लूडो कैरम तो किसी ने की घर की सफाई
- बीएस-4 गाड़ियों के स्टॉक को लेकर परेशान है ऑटोमोबाइल दुकानदार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जनता कर्फ्यू के बीच लोगों ने काफी समय के बाद अपनों के साथ घर पर बताया इस दौरान कहीं कोई लूडो खेल रहा था तो कहीं कोई कैरम के साथ अपना मन बहला रहा था. सिविल लाइन के रहने वाले शशांक कुमार ने कहा कि, वजह भले कोई हो लेकिन काफी अरसे के बाद पूरे परिवार के साथ समय बिताने को मिला. कानूनी सलाहकार कमलाकांत तिवारी ने बताया कि, स्कूलों की छुट्टियां होने तथा जनता कर्फ्यू लागू होने के कारण उन्होंने अपनी पोती किशु के साथ लूडो खेलने का आंनद लिया. उन्होंने कहा कि, आगामी दिनों में लॉक डाउन होने के बाद अब वह घर में रहकर ही कोरोना वायरस के भयावह संक्रमण को रोकने में अपनी सहभागिता देंगे. पीपरपांती रोड के सुनील चौरसिया, खलासी मोहल्ले के नवाब आलम, चीनी मिल के मुर्शीद रजा, सारीमपुर के हामिद रज़ा समेत कई लोगों ने जहाँ जनता कर्फ़्यू का समर्थन किया अपनों के साथ वक्त बिताया. समाज सेवी साबित रोहतासवी तथा चिकित्सक डॉ. दिलशाद आलम ने बताया कि, आज तीन पीढियां एक साथ घर बैठी थी. उन्होंने बताया कि, रविवार को भी कभी शायद ही घर में रहने की फुर्सत मिलती है. कोरोना से जंग ने रविवार को वह खुशी महसूस करने का मौका सबको दिया, जिसके लिए वे लोग तरसते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता और गैर सरकारी संस्था डीसी इम्यूनाइनेशन के संयोजक हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि, उन्होंने आधे समय में पूरे घर के कोने-कोने की सफाई की और बाकी का समय परिवार के साथ मस्ती में गुजारा. युवा किसान और प्रिटिग व्यवसाय से जुड़े विक्की ने बताया कि अरसे बाद आज केवल घर का खाना खाया. आम दिनों में न चाहते हुए भी कुछ न कुछ बाहर का हो ही जाता है लेकिन आज घर का बना समोसा खाने में मजा आ गया. प्रतिष्ठित व्यवसायी राजा पहवा ने जनता कर्फ्यू का अनुभव बताते हुए कहा कि कोरोना की मजबूरी में ही सही लेकिन परिवार के साथ समय बिताने में मजा आ गया. उन्होंने कहा कि आज प्रदूषण का स्तर भी बहुत कम है और सांस लेने में अच्छा लग रहा है. हालांकि, ऑटोमोबाइल के धंधे से जुड़े राजा इस बात से थोड़े परेशान दिखे कि बीएस-4 गाड़ियों के निबंधन की अंतिम तिथि 31 मार्च से आगे नहीं बढ़ी तो उनके यहां पड़ी गाड़ियों का क्या होगा.
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