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शरद यादव को राज्यसभा में भेजने से मुखर होगी गरीबों की आवाज़ - लोजद

शरद जी के राज्यसभा में जाने से देश को संसद में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाला प्रतिनिधित्व मिलता और बिहार सहित देश के वंचित और गरीब तबकों की मुश्किलों की मुखर अंदाज में अभिव्यक्ति होती.

- जिलाध्यक्ष ने कहा, महागठबंधन को शरद यादव ने दिया था आकार.
- कहा, जनता के हित के लिए ठुकरा दी थी राज्य सभा की सस्यता.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को महज 22 सीटें मिली थी, फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जनता दल यू और राष्ट्रीय जनता दल बुरी तरह हारी थी. ऐसे में 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए शरद यादव ने ही अथक प्रयास करके राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन को आकार देने का काम किया था. यह कहना है लोकतांत्रिक जनता दल के जिलाध्यक्ष रामाशीष सिंह कुशवाहा का.

उन्होंने बताया कि, शरद जी के इसी प्रयास के चलते राजद और लालू जी के परिवार को सत्ता में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी मिली. फिर नीतीश कुमार जब महागठबंधन को छोड़कर भाजपा से जा मिले थे तब भी शरद यादव ने केंद्र में मनचाहा मंत्रालय के साथ-साथ मंत्री पद के मिले ऑफर को ठुकरा कर बिहार की जनता के साथ खड़ा होना पसंद किया. जिसने महागठबंधन में भरोसा जताया था. इसी के चलते शरद जी को अपनी राज्यसभा की सदस्यता भी दांव पर लगाने पर जो कि 2022 में समाप्त होनी थी. उन्होंने कहा कि, राजद के लिए महागठबंधन के लिए तथा बिहार की जनता के हित में हर दृष्टि से उचित तो यही होता है कि, शरद यादव को राज्यसभा में भेजा जाता. अनुभव, संघर्ष, सिद्धांत, निष्ठा के मामले में शरद यादव के कद का नेता आज तक किसी पार्टी में नहीं है. शरद जी के राज्यसभा में जाने से देश को संसद में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाला प्रतिनिधित्व मिलता और बिहार सहित देश के वंचित और गरीब तबकों की मुश्किलों की मुखर अंदाज में अभिव्यक्ति होती.



















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