Buxar Top News: वीडियो: व्यवस्था का स्याह सच: 69 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भूखे दलित स्कूली बच्चे कह रहे हैं "रोटी-रोटी" !
उन्होंने यह स्वीकारा कि कहीं ना कहीं सिस्टम की चूक का शिकार बच्चे हुए हैं.
देखिए वीडियो:
- बक्सर के पांडेय पट्टी स्थित दलित छात्रावास मामला.
- छात्रावास के दलित बच्चों को वर्षों से नहीं मिली है खाने में रोटी.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: देश के 69 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहां देशवासी खुशियां मना रहे हैं वही बक्सर में एक ऐसा शर्मनाक वाकया सामने आया है जिसने लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया है. मामला बक्सर के पांडेय पट्टी से जुड़ा हुआ है. जहां आवासीय अंबेडकर उच्च विद्यालय में बच्चों ने विभिन्न मांगों को लेकर गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या से ही भूख हड़ताल की हुई थी. उन मांगों में बच्चों की सबसे बड़ी मांग भी शामिल है जिसकी कल्पना शायद किसी ने ना की थी. बच्चों ने बताया कि उन्हें कभी भी ढंग का भोजन नसीब नहीं होता है. 26 जनवरी, 15 अगस्त और सरस्वती पूजा जैसे आयोजनों के दौरान ही उन्हें बेहतर भोजन दिया जाता है. उन्होंने बताया कि उनके भोजन में उन्हें आज तक रोटी नहीं मिली है. उन्हें सिर्फ चावल दाल और सब्जी ही मिलती है.
2010 से पढ़ रहे छात्रों ने भी कहा कि उन्होंने आज तक विद्यालय के मेन्यू में रोटी नहीं देखी है. बच्चों के आंदोलन की सूचना मिलते हैं प्रशासन की नींद खुली और भूमि विकास उपसमाहर्ता राजेश कुमार मौके पर पहुंचे. उन्होंने किसी तरह बच्चों को समझा-बुझाकर स्थिति को नियंत्रण में लिया उन्होंने यह स्वीकारा कि कहीं ना कहीं सिस्टम की चूक का शिकार बच्चे हुए हैं. हालांकि उन्होंने बच्चों से यह वादा किया कि आगामी 10 फरवरी तक सारी विधि व्यवस्था में सुधार हो जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्होंने संबंधित संवेदक को स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि वह भोजन में बच्चों को मेन्यु के हिसाब से ही खाना खिलाएं और "रोटी" तो भोजन में अवश्य ही दें. दूसरी तरफ मौके पर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता राम नारायण ने कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि प्रशासनिक चूक के कारण बच्चों को रोटी नहीं नसीब होती. उन्होंने कहा कि देश जहां 69वें गणतंत्र की खुशियां मना रहा है वहीं बच्चों को रोटी नहीं मिलना कहीं ना कहीं व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करता है.
इंडियन वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अनिल कुमार पासवान ने केंद्र तथा राज्य की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार जहां स्वयं को दलितों का हितैषी बताती है. वहीं इस तरह की घटना सच्चाई को बयान करने के लिए काफी है.
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