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Buxar Top News: न्याय के मंदिर द्वारा अपने हक में फैसले को लेकर शिक्षक पहुँचे शिव मंदिर, की विधि विधान से पूजा अर्चना व हवन, अब 12 अप्रैल को होगी अंतिम सुनवाई ..

नियोजन की प्रक्रिया साल 2003 में शुरू हुई. उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था और इनकी सैलरी महज 1500 रुपये हुआ करती थी.

- विधि विधान के साथ मंत्रोचारण करते हुए से भगवान से की प्रार्थना. 
- न्यायालय से केंद्र सरकार ने मांगा कुछ और समय.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मंगलवार की सुबह प्रखण्ड मुख्यालय स्थित शिव मंदिर में नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन की सुनवाई मंगलवार तक टल जाने के बाद शिक्षकों ने अपने पक्ष में फैसला अनेक के लिए भगवान शिव की मन्दिर में पूजा अर्चना व हवन कर देवताओं से दुआ मांगी, हालांकि आज की सुनवाई के दौरान भी फैसला 12 अप्रैल तक टल गया. इसके पूर्व बीते दिनों पटना उच्च न्यायालय ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसको लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च को सुनवाई में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए शिक्षकों के हक में फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार के सहयोग से समस्या निदान करने की बात को कहा. 27 मार्च को सुनवाई में पक्ष रखने को लेकर न्यायालय द्वारा कहा गया था. हवन पूजन कार्यक्रम में कमलेश पांडेय,ओम प्रकाश मिश्रा, अशोक शर्मा, मो0निजामुदीन, मो0इमरान, विजय राम, अशोक राय, मनोज कुमार,महेंद्र राम सहित कई शिक्षक,शिक्षिका मौजूद थे.

अब 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई:

 बिहार के तीन लाख सत्तर हजार नियोजित शिक्षकों के वेतन मामले पर अब 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई होगी. 'समान काम, समान वेतन' मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए केंद्र सरकार ने और वक्त मांगा है. केंद्र सरकार ने कहा कि वो अन्य राज्यों के परिपेक्ष में इसे देख रही है, क्योंकि एक राज्य के शिक्षकों की सैलरी पर अगर विचार किया जाएगा तो अन्य राज्यों की ओर से भी मांग उठेगी. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि हम बिहार को आर्थिक तौर पर कितनी मदद कर सकते हैं ये हम कोर्ट को अवगत कराएंगे.

गौरतलब है कि बिहार के तीन लाख 70 हजार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर आज (मंगलवार को) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर पटना हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर विचार करने के लिए कहा था. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था.

राबड़ी देवी की सरकार में शुरू हुई थी नियोजन प्रक्रिया: 

बिहार में राबड़ी देवी सरकार में नियोजन की प्रक्रिया साल 2003 में शुरू हुई. उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था और इनकी सैलरी महज 1500 रुपये हुआ करती थी. एक जुलाई 2006 को नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सभी शिक्षामित्रों को पंचायत और प्रखंड शिक्षक के तौर पर समायोजित किया गया. इसके बाद ट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन पांच हजार, जबकि अनट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन चार हजार रुपए कर दिया गया. उसके बाद बिहार में लगातार नियोजित शिक्षकों की बहाली होती रही और अब इनकी संख्या तीन लाख 69 हजार के आसपास पहुंच चुकी है.

 बक्सर टॉप न्यूज़ के लिए सुंदरलाल की रिपोर्ट















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