Buxar Top News: प्रकृति संरक्षण के साथ पूजन का संदेश देती है भागवत - आचार्य रणधीर ओझा।
आचार्य श्री ओझा ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में प्रकृति की रक्षा के लिए अनेक विधान बताए गए हैं. श्रीमद् भागवत के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति की पूजा का संदेश दिया है
- चरित्रवन में आयोजित की गई है श्रीमद् भागवत कथा.
- पांचवें दिन की कथा में आचार्य ने बताया प्रकृति का महत्व.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भागवत हमें प्रकृति और भगवान से अपनत्व स्थापित करने का संदेश देता है. हम सभी के जीवन में प्रकृति और भगवान दोनों का बड़ा महत्व है इसलिए हम सभी को प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए. यह बातें स्थानीय चरित्रवन स्थित पंचमुखी शिव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन की कथा के दौरान आचार्य रणधीर ओझा ने कही. आचार्य श्री ओझा ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में प्रकृति की रक्षा के लिए अनेक विधान बताए गए हैं. श्रीमद् भागवत के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति की पूजा का संदेश दिया है. इंद्र की पूजा के वर्षों के परंपरा को खत्म करके उन्होंने गर्गरीराज पर्वत की पूजा शुरू कराई. परमात्मा श्रीकृष्ण ने अपने पिता से कहा कि हम तो सदा के वनवासी हैं तथा वन और पहाड़ी हमारे घर हैं. इन्हीं से हमारे पशुधन गौओं का पालन भी होता है। तो क्यों ना अभी प्रदेशों के द्वारा गिरिराज श्री का पूजन करें. इंद्र की पूजा के लिए जो सामग्रियां इकट्ठी की गई हैं उन्हीं से इस यज्ञ का अनुष्ठान करने की तैयारी करें.
आचार्य ने बताया कि व्यक्तिवादी व्यवस्था पर प्रहार कर भगवान श्री कृष्ण प्रकृतिवादी व्यवस्था स्थापित करने के पक्षधर थे आज भौतिकतावादी परिवेश में हम सभी प्रकृति का दोहन कर रहे हैं. दूसरी तरफ हमारा सनातन धर्म सूर्य की पूजा, तुलसी की पूजा, पीपल की पूजा कर संसार में प्राकृतिक संतुलन को ठीक रखने का प्रयास वर्षों से करता आया है. यमुना जी से कालिया नाग को निकालना, वृंदावन की तलहटियों में ग्वाल-बाल के साथ गौओं को चराना, बछड़ों से प्रेम करना, कदंब के पेड़ पर बैठकर बंसी बजाना, वृंदावन में नंगे पैर घूमना इन सभी प्रसंगों के द्वारा यह कहा जा सकता है कि भगवान श्री कृष्ण ने सदैव प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया है.
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