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Buxar Top News: लोक अदालत के आयोजन से वंचितों को मिलेगा न्याय- रामेश्वर प्रसाद वर्मा.



बिहार के प्रत्येक जिले में लोक अदालत कायम है. उन्होंने बताया कि लोक अदालत का फैसला अंतिम माना जाता है. किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी के लिए पुनर्विचार हेतु उसी लोक अदालत में आवेदन देकर उसे सुधरवाया जा सकता है

- शनिवार को हो रहा है लोक अदालत का आयोजन.

- 90 फीसद आबादी अभी भी न्याय पाने से राह जाती है वंचित.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  विभिन्न प्रकार के मुकदमों को आपसी सहमति के आधार पर निष्पादित करने के उद्देश्य से व्यवहार न्यायालय में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. 

इस संदर्भ में वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कहा कि मुकदमा लड़ना आजकल आसान नहीं रह गया है. कोर्ट कचहरी में इतने अधिक रुपए खर्च होते हैं कि गरीब तबके के लोग बीच में मुकदमा छोड़कर भाग खड़े होते हैं. फलस्वरूप गरीबी में चल रहे बिहार की करीब 90 फीसद आबादी न्याय पाने से वंचित है। लेकिन बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार लोक अदालत के माध्यम से गरीबों, असहायों, नाबालिग बच्चियों तथा बच्चों को बिना खर्च उचित न्याय दिलाने की कोशिश में सक्रिय है. 

उन्होंने कहा कि विधिक सेवा कानून 1987 जिसे 1995 में लागू किया गया और इसी विधिक सेवा कानून के अंतर्गत अदालत को कानूनी मान्यता दी गई है. न्याय व्यवस्था के एक आदर्श माध्यम के रूप में सामान्य एवं नियमित न्याय व्यवस्था का विकल्प ही नहीं बल्कि पूरक है. विधिक सेवा कानून के तहत धारा 19 की उपधारा 5 के अंतर्गत लोक अदालत के माध्यम से आपसी सहमति विचार विमर्श के द्वारा विवादों का निष्पादन किया जाता है. 

उन्होंने बताया कि लोक अदालत के संचालन के लिए जिला कानूनी सलाहकार परिषद की स्थापना की गई है और इसके लिए प्रत्येक जिला में जिला विधिक सहायता समिति भी बनाई गई है. जिसके अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा उपाध्यक्ष जिला पदाधिकारी होते हैं. श्री वर्मा ने बताया कि लोक अदालत के संचालन में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों विधि तथा विधि के छात्र छात्राओं की सहायता भी ली जाती है। 

बिहार के प्रत्येक जिले में लोक अदालत कायम है. उन्होंने बताया कि लोक अदालत का फैसला अंतिम माना जाता है. किसी भी तरह की तकनीकी गड़बड़ी के लिए पुनर्विचार हेतु उसी लोक अदालत में आवेदन देकर उसे सुधरवाया जा सकता है. निःसंदेह लोक अदालत उभय पक्षों के लिए वरदान है.


















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