पोता बना अश्विनी चौबे का जमानतदार ..
मंगलवार को उनकी नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. लेकिन, जमानतदार के तौर पर नजदीकी रिश्तेदार होने की शर्त न्यायालय द्वारा रखते हुए एक दिन की औपबंधिक जमानत उन्हें मिली थी
- वर्ष 2017 में हुई मारपीट के मामले में मिली जमानत
- न्यायालय ने भरवाए 10-10 हज़ार के दो बंध पत्र.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वर्ष 2017 में विभाग में बिजली विभाग के कर्मियों से मारपीट मामले में एनडीए के बक्सर उम्मीदवार अश्विनी कुमार चौबे को जमानत मिल गई है. हालांकि, अग्रिम जमानत उन्हें कुछ दिन पूर्व ही मिल गई थी जिसके बाद मंगलवार को उनकी नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. लेकिन, जमानतदार के तौर पर नजदीकी रिश्तेदार होने की शर्त न्यायालय द्वारा रखते हुए एक दिन की औपबंधिक जमानत उन्हें मिली थी.
दरअसल, 11 मार्च 2017 को विद्युत विभाग में भाजपा कार्यकर्ताओं एवं बिजली विभाग के अधिकारियों के बीच मारपीट की घटना सामने आई थी, जिसके बाद 16 मार्च को कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा 28 नामजद एवं 200 अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. इस मामले में सांसद भी नामजद थे.
न्यायालय ने अग्रिम जमानत की 10-10 हज़ार के मुचलके की याचिका को इस आशय पर स्वीकृत किया था कि बंध पत्र दाखिल करने में जमानतदार नजदीकी रिश्तेदार होंगे. लेकिन मंगलवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में श्री चौबे दो स्वतंत्र जमानतदारों के साथ उपस्थित हुए ऐसे में न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए उन्हें केवल एक दिन का प्रोविजनल बेल दिया तथा यह सुनिश्चित करने को कहा कि दूसरे दिन दो नजदीकी रिश्तेदारों से बेल बॉन्ड जमा करवा देंगे. ऐसे में उन्होंने बुधवार को न्यायालय में उपस्थित होकर एक बार फिर नियमित जमानत का आग्रह किया. जमानतदार के तौर पर उनके रिश्ते के पौत्र नरेंद्र कुमार चौबे तथा एक अन्य रिश्तेदार संतोष कुमार मिश्रा ने उनकी जमानत ली. इस दौरान न्यायालय परिसर में गहमागहमी का माहौल बना रहा अश्विनी चौबे के साथ उनके बड़े पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे भी न्यायालय में पहुंचे थे.
बताते चलें कि उक्त मामले में सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए श्री चौबे पर भारतीय दंड विधान की धारा 353 के अलावे 147,148 एवं 290 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.
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