दिव्यांगजनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए घर घर पहुंच रही सरकार- आयुक्त
दिव्यांग जनों को निःशक्तता प्रमाण पत्र बनाने, संपत्ति के विवाद सुलझाने, वाहन चालन के लिए लाइसेंस निर्गत कराने के साथ-साथ दिव्यांगों को मिलने वाली सारी सुविधाओं के संदर्भ में उन्हें जानकारी दी जाएगी
- दिव्यांगजनों के लिए जिले में आयोजित है तीन दिवसीय चलंत लोक अदालत.
- सिर्फ पेंशन नहीं गरीबी उन्मूलन के लिए भी सरकार ने किए हैं प्रयास.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के निशक्तता न्यायालय के आयुक्त डॉ. शिवाजी कुमार सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत चलंत लोक अदालत लेकर बक्सर पहुंचे. 23 जुलाई से लेकर 26 जुलाई तक चलने वाले इस चलंत लोक अदालत में दिव्यांग जनों के कल्याण के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. साथ ही साथ दिव्यांग जनों को निःशक्तता प्रमाण पत्र बनाने, संपत्ति के विवाद सुलझाने, वाहन चालन के लिए लाइसेंस निर्गत कराने के साथ-साथ दिव्यांगों को मिलने वाली सारी सुविधाओं के संदर्भ में उन्हें जानकारी दी जाएगी.
इस संदर्भ में आयोजित प्रेसवार्ता में आयुक्त ने बताया कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत वे जिले के सभी प्रखंडों में जा कर दिव्यांगों के बीच फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ-साथ गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार की योजनाओं को उनके बीच पहुंचाने का कार्य करेंगे. उन्होंने बताया कि आमतौर पर दिव्यांग यह मानते हैं कि उन्हें केवल ट्राईसाईकिल तथा पेंशन ही सरकार से मिलने चाहिए. जबकि ऐसा नहीं है. सरकार उन्हें हर वह सुविधा प्रदान करती है जो गरीबी उन्मूलन के लिए बनाई गई है. उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों की समस्याओं का त्वरित निबटान करने हेतु प्रखंड स्तर पर एक कमेटी बनाई गई है, जो कि डोर टू डोर जाकर दिव्यांगों के सहायता करेगी. दिव्यांगों के लिए नि:शक्तता प्रमाण पत्र बनाने में हो रही असुविधा के बारे में पूछे जाने पर आयुक्त ने बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले चलंत लोक अदालत में आकर दिव्यांग अपनी समस्याओं का त्वरित समाधान पा सकते हैं. इसके अतिरिक्त प्रखंड स्तर पर भी निशक्तता प्रमाण पत्र बनना शुरू हो गया है. यही नहीं यदि दिव्यांग जन चाहे तो वह घर बैठे-बैठे यूडीआईडी की वेबसाइट पर जाकर प्रमाण पत्र बनाने के लिए अनुरोध कर सकते हैं. दिव्यांगों की सहायता के लिए एक टोल फ्री नंबर 8448385590 भी जारी किया गया है. जिस पर वे अपने सवालों का जवाब पा सकते हैं। डॉ. शिवाजी कुमार ने बताया कि सरकार का कहना है कि दिव्यांगों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निदान किया जाए.
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