अस्पताल में बढ़ी कुपोषित बच्चों की संख्या ..
बताया कि अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चे कुपोषित ही नहीं बल्कि अति कुपोषित हैं. उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम ने नावानगर के आंगनबाड़ी की जांच की तो वहां यह बच्चे मिले. बच्चों को सदर अस्पताल में पुनर्वास केंद्र में लाया गया है जहां उनका इलाज किया जा रहा है.
- 10 है कुपोषित बच्चों की कुल संख्या.
- रविवार को नावानगर से पहुंचे थे 5 कुपोषित बच्चे
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भले ही सूबे के मुखिया नीतीश कुमार देश भर में बिहार के ग्रोथ रेट को दिखा कर अपनी पीठ थपथपा रहे हो लेकिन कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई है. जिन्होंने जमीनी हकीकत को खोल कर सामने रख दिया है. जिले के नावानगर प्रखंड से रविवार को 5 कुपोषित बच्चों को सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया जिनका आनन-फानन में इलाज शुरू कर दिया गया. इन बच्चों के भर्ती होने के पश्चात पोषण पुनर्वास केंद्र में भारतीय बच्चों की कुल संख्या 10 हो चुकी है.
मामले में सदर अस्पताल के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी केके राय ने बताया कि अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चे कुपोषित ही नहीं बल्कि अति कुपोषित हैं. उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम ने नावानगर के आंगनबाड़ी की जांच की तो वहां यह बच्चे मिले. बच्चों को सदर अस्पताल में पुनर्वास केंद्र में लाया गया है जहां उनका इलाज किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि टीम के द्वारा नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों की जांच की जाती है. जहां कुपोषित बच्चे मिलने पर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है. जहां, बच्चों के साथ साथ उनकी मां अथवा किसी अन्य एक अटेंडेंट को पोषण युक्त भोजन की व्यवस्था की जाती है.
कुपोषित बच्चे की मां ने कहा समय पर नहीं मिलता है खाद्यान्न:
जिले में कुपोषण के बढ़ने का एक कारण नियमित रूप से खाद्यान्न का वितरण नहीं होना भी बताया जा रहा है. अस्पताल में कोरानसराय थाना क्षेत्र के रेंका गांव से अपने कुपोषित बच्चे का इलाज कराने पहुँची महिला पूनम ने बताया कि वह बहुत ही गरीब परिवार से आती है. उसे नियमित रूप से खाद्यान्न का वितरण नहीं होता है. कभी दो माह तो कभी तीन माह पर खाद्यान्न का वितरण होता है.
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