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Buxar Top News: दुःखद: स्वच्छता संग्राम की बहादुर वीरांगना कर रही जिंदगी जीने की जद्दोजहद ...


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कहते हैं हिम्मत जब सोच को पार करे तो वो बहादुरी का रूप ले लेती है। वो बहादुरी अगर उम्र के उस पड़ाव पर हो जहाँ  इंसान का जीवन ढलान पर हो तो सोचिये कि इतिहास ऐसे लोगो को किस प्रकार भुला पाएगा? 
नाम इंद्रशानी कुँवर, उम्र- तस्वीर देखकर आप भी अंदाज लगा सकते हैं ! 
पूरे देश में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में इनके जज्बे ने ऐसा काम कर दिया की लोग दातो तले उंगली दबाने लगे। उम्र के इस पड़ाव में जहाँ शरीर जबाब दे देता है और हिम्मत टूट जाती है वही इंद्रशानी कुँवर ने लगातार चार दिन चार रात तक खुरपी से खोद कर  छः फिट गहरा और पांच फीट चौड़ा गढ़े का निर्माण कर स्वच्छ्ता अभियान में एक इतिहास लिख दिया। इस कारनामे की खबर जंगल में आग की तरह फैली और जिला प्रशासन को स्वछता अभियान का एक  योद्धा मिला और साथ में मिली एक कहानी। अब तो हर जगह इंदशानी कुँवर की ही चर्चा थी। लोगो उनके कारनामों से अवगत करा कर प्रेरित किया जाने लगा। लकिन इस सच को देखने जब हमलोग इस स्वच्छता सेनानी के घर पहुँचे तो इस वीरांगना का जज़्बा तो वही था लेकिन दरकती दीवारे और टूटते खपड़ैल मकान ने जिला प्रशासन की बनावटी आभा मंडल की हवा ही निकल दी। सच तो ये है कि जिस बहादुरी के साथ उसने दिन-रात एक कर शौचालय बनाया आज उसी शौचालय में बैठने के लिए छत नहीं है। यही नहीं इंद्रशानी कुँवर के मकान की भी अमूमन यही दशा है वह  और किसी भी समय ढह सकता है । उसकी थुम्भियां अब दरक चुकी है। इस दुर्दशा को देख कर वो अब एक ही दुआ कर रही हैं कि क्या इस बार की बरसात वह झेल पायेगी या उन्हें दूसरे की शरण में जाना होगा?
बहरहाल, आगे आने वाला वक्त चाहे जैसा भी हो स्वच्छता के इस सिपाही को सहायता की आज भी इंतजार है | अब देखना यह है कि पूरे जिले में स्वच्छता की मुनादी करा रहे जिला प्रशासन को स्वच्छता संग्राम के इस सेनानी की सुध लेने की फुर्सत मिलती है या ये लोग इसे शरणार्थी का दर्जा देकर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेने में अपनी तारीफ़ समझेंगे ....
-पुष्पेंद्र पाण्डेय



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