Header Ads

Buxar Top News: सम्पूर्ण संसार सृष्टिकर्ता का विलास है -पंडित कृष्णानन्द शास्त्री |


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  सम्पूर्ण संसार सृष्टिकर्ता का विलास है। संसार की रचना करने वाले ब्रहमा के विराट स्वरूप का विशद् विवेचन कूर्म महापुराण में किया गया है। ब्राहमण को ईश्वर का मुख, सुर्यवंश में उत्पन्न क्षत्रिय दाहिनी भूजा तथा चन्द्रवंश में उत्पन्न क्षत्रिय यादव वाम भुजा है। जबकि वैश्य उरू एवं अन्य पैर स्थानापन्न है। इस प्रकार चारों वर्णो के मानवों से परमात्मा का विराट मानव शरीर र्निमित है। उक्त बातें रामरेखा घाट स्थित रामेश्वरनाथ मंदिर में चल रहे लक्ष्मीनरायण महायज्ञ के दौरान आयोजित कथा के सातवें दिन कथावाचक कृष्णानन्द शास्त्री ने कहा।

ब्राहमण का कार्य अध्ययन-अध्यापन यज्ञ, तप, दान तथा क्ष्त्रिय का कृषि व्यवसाय, वैश्य तथा सेवा अन्य के लिए र्निधारित किया गया। साथ ही ब्राहमण अपनी साधना तपस्या से क्षत्रियों को राज-काज करने में शास्त्र सम्मत नीति तथा मार्ग दर्शन कराता है। एत दर्श राजाओं का गुरू होता है क्ष्त्रिय छााता की तरह होता है छाता जैसे स्वयं धूप, वर्षा सहन करके मानव की रक्षा करता है ठीक वैसे ही क्षत्रिय को स्वयं कष्ट में रहकर देश की रक्षा करनी चाहिए। इसीलिए ईश्वर ने सूर्यवंशी राजाओं को दाहिनी भुजा तथा चन्द्रवंशी राजाओं को बार्यी भुजा का स्थान दिया है। जैसे दोनो भुजाओं के द्वारा शरीर की रक्षा होती है ठीक वैसे ही क्षत्रिय द्वारा देश की रक्षा संरक्षा होती है। राम कृष्ण आदि ने ऐसा ही आचरण करके समाज का मार्गदर्शन किया। देशहित में राजा अपना सर्वस्व समर्पित करने भी संकोच नहीं करता जबकि ब्राहमण अपनी तपस्या एवं त्याग से राजा, प्रजा का सतत कल्याण करता है।




No comments