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@BHU: आखिर कौन है बेटियों का गुनहगार ! महामना से पूछे जा रहे सवाल ..


बक्सर टॉप न्यूज़: काशी हिंदू विश्विद्यालय में पढ़ने वाली कई बेटियों ने अपनी व्यथा को सड़क पर बैठ व्यक्त किया. हालांकि, पिछले तीन दिनों से अधिक समय से चल रहे इस आंदोलन के पूर्व इन्होंने अपनी व्यथा के निराकरण के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन का दरवाजा भी खटखटाया, मगर इन बेटियाँ की आवाजें जब उनके कानों तक नहीं पहुंची तो उन्हें ज्ञान की इस बगिया के प्रथम माली जिन्होंने नव पौध को एक वट वृक्ष बनाने की कल्पना के साथ इस ज्ञान के मंदिर की स्थापना की थी, उनसे ही अपनी वेदना को  व्यक्त करने का निश्चय किया तथा उनकी शरण में बैठ गयी. हालांकि, वहाँ भी उनपर लाठियां चटकाई गयी.बावजूद वे अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर वहीं डटी हुई हैं. 
बेटियों की असीम वेदना को देखते हुए एक आम आदमी ने इस ज्ञान के मंदिर के अधिष्ठाता को ही पत्र लिख दिया तथा यह उम्मीद की कि शायद बेटियों को उनकी पीड़ा से निज़ात मिल जाए.

आदरणीय महामना मालवीय जी,
                   सादर चरण स्पर्श।

असीम वेदना एवं अवसाद के साथ पत्र लिख रहा हूँ कि आपकी ज्ञान की बगिया में आज बेटियाँ रोड पर बैठी हैं और उनकी पीड़ा इतनी त्रासद हैं कि लिपिबद्ध करना मुश्किल हो रहा है, इसलिये तो कहीं आपके मूर्ति के पीछे ही बैठी हैं ताकि उनकी नाद, अंतर्नाद और अहनद नाद आप स्वंय सुन सके?
यह कौन लड़कियां हैं? क्या चाहती हैं? शकों, हूणों या यवनों की यवनिका तो नहीं हैं ?
मलेच्छों की बेटी तो नहीं?
नहीं नहीं! इसमे होलकर सिंधिया गायकवाड़ की भी बेटियां नहीं हैं?
अरे, यह तो परशुराम चाचा की मंझली है, अगस्त्य चाचा की छोटकी है, अरे वाह टीवी पर तो विश्वामित्र चाचा की बेटी बोल रही है, क्यों रोड पर बैठी हैं?
यह कौन है? जो आपके पावन विश्वविद्यालय, देश, प्रान्त और सरकार को बदनाम कर रही हैं?
का हि वि वि के जनपथ पर बैठकर किसी 'जनपथ' से तो नहीं जुड़ीं हैं?
आखिर क्यों बैठी हैं, आपके पीछे?
कौन हैं उनकी पीड़ा का कारक?
मनु?
यह कौन हैं जो हमारी अपाला,घोष,विश्ववारा,गार्गी,लोपामुद्रा,विशाखा को परेशान कर रखा हैं?
कौन इसे कालिदास और मंडन मिश्र को पराजित करने से रोक रहा है?
अरे अरे ,यह नवरात्र में सिर क्यों मुड़वा ली है, विंध्य की पहाड़ियों के बीच इस विश्वविद्यालय में क्यों गंजी हो गई है?
कौन है इसका संकायाध्यक्ष जो सिर मुड़वाने पर विवश किया,कहीं वह धर्म तो कलुषित नहीं कर रही है?
महामना जी,आपने हमे पढ़ने के लिए जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की ताकि विद्यार्थी देश की सेवा कर देश का मस्तक गौरव से ऊंचा कर सके और एक अन्य विश्वनाथजी की प्राण प्रतिष्ठा आप स्वयं कर गए ताकि विश्वविद्यालय में धर्म संस्कृति और सनातन परंपरा की रक्षा कर सके और यह महज़ संयोग है कि आप इसको याद दिलाने हेतु विश्वनाथजी और का हि वि वि के गेट पर साक्षात खड़े है।
फिर कौन इन बेटियों को कष्ट दे रहा है?
मनु?
शिव की नगरी में कौन है जो नहीं जानता कि  "यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः, यत्रैतास्तु न पुज्यन्ते सर्वास्त्राफला: क्रिया "
महामना जी, मैं आपसे अनुमति भी लूंगा कि इस पत्र की एक प्रति माननीया एनी बेसेंट महोदया को प्रेषित करू ताकि वह भी जान पाये कि जिस सेंट्रल हिन्दू स्कूल की उन्होने स्थापना की उसकी नीव पर बना यह विश्वविद्यालय उनकी बेटियों को शिक्षा व मानवता के लिये सड़क पर बैठने को मजबूर कर दिया है, उनकी बेटियों की यहीं मात्र मांग है कि उनसे मनुष्यत्व व्यवहार की जाय। एनी बेसेंट महोदया को यह भी पता चले कि जिस ' ब्रदर्स ऑफ सर्विस' की उन्होने स्थापना की उसके भाई (ब्रदर्स) अब विमुख हो गए हैं आपके उस संकल्प से कि " मैं अपनी पत्नी ,पुत्रियों और कुटुम्ब की अन्य स्त्रियों को शिक्षा दिलाऊंगा एवं कन्या शिक्षा का प्रचार करूँगा, स्त्रियों की समस्या सुलझाने का प्रयास करूंगा"।
आखिर कौन है जो एनी बेसेंट और आपके का हि वि वि में बेटियों से खिलवाड़ कर रहा हैं ?
कौन , मनु ?

सागकाशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की घटना के खिलाफ सैकड़ों स्टूडेंट्स ने रविवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन के बर्बर रवैये और पुलिसिया लाठीचार्ज के खिलाफ साइलेंट मार्च निकाला.

बीएचयू महिला महाविद्यालय के स्टूडेंट्स ने इस साइलेंट प्रोटेस्ट मार्च का नेतृत्व किया. पिछले तीन दिनों से महिला महाविद्यालय गर्ल्स स्टूडेंट के लिए सुरक्षा की मांग को लेकर उबाल पर है. पिछली रात पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के बाद रविवार की सुबह छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतरे.

मार्च में शामिल होने वाले एक छात्र ने कहा कि पुलिस ने आज भी हमारा पीछा किया.

क्या है प्रदर्शनकारी छात्राओं की मांग

हालांकि प्रदर्शन कर रही लड़कियों की मांग बेहद सामान्य है. कहा जा सकता है कि छात्राएं बेसिक सेफ्टी की मांग कर रही हैं और ऐसी सुविधाएं हर यूनिवर्सिटी में होनी चाहिए. बीएचयू की एक छात्रा आकांक्षा सहाय ने कहा कि हमारी मांग बिल्कुल सामान्य है. हम कैंपस में सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन को ये सुनिश्चित करना चाहिए.

आकांक्षा ने आगे कहा कि कैंपस में लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है. कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है, यहां तक की कॉलेज में भी. कोई भी इन तथ्यों को चेक कर सकता है. सहाय ने कहा, 'हम बीएचयू कैंपस में समुचित लाइटिंग की व्यवस्था चाहते हैं. सीसीटीवी लगवाया जाए. पुरुष छात्रों, स्टॉफ और कार्यरत अधिकारियों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाया जाए. बस इतना ही, हम कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे हैं.'

कैंपस में लाठीचार्ज

पुलिस द्वारा तीन दिन से चल रहे अहिंसक प्रदर्शन पर लाठीचार्ज से कैंपस की लड़कियां बेहद आक्रोशित हैं. बीएचयू की एक और छात्रा आकांक्षा सिंह ने कहा, 'हमारा प्रदर्शन अहिंसक और शांतिपूर्ण था. हमने हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया और पुलिस ने लड़कियों को पीटना शुरू कर दिया. पुरुष पुलिस अधिकारियों ने महिला महाविद्यालय की लड़कियों पर लाठीचार्ज किया. लड़कियों को पीटा गया.'

आकांक्षा सिंह ने पुलिस के उन दावों को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि स्टूडेंट्स ही पुलिस से भिड़ गए. उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने परेशानियां खड़ी की, हिंसा भड़काई, वे सब बाहरी थे. वे सब बीएचयू के स्टूडेंट्स भी नहीं थे.'

उन्होंने कहा कि पुलिस ने महिला महाविद्यालय की लड़कियों को रात के 1 बजे तक पीटा.

वाइस चांसलर के साथ कोई बैठक नहीं

पिछले तीन दिन से प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी से उनके चैंबर में मिलने से इंकार कर दिया. छात्राओं की मांग थी कि वीसी को बाहर आकर खुले में लड़कियों से मिलना चाहिए.

आकांक्षा सिंह ने कहा, 'हम अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. जिन 10 स्टूडेंट्स को वीसी ने बुलाया था उनके साथ क्या हुआ. वीसी ने आवाज उठाने को लेकर उन्हें चेतावनी दी. छात्रों को संस्पेंड कर दिया गया, बिना उनका पक्ष सुने. मामला यही खत्म हो गया. हम पुरानी लाइन पर नहीं चलना चाहते.'

यही नहीं स्टूडेंट्स गुरुवार को एक छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को लेकर बीएचयू प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठा रहे हैं. बता दें कि छेड़छाड़ की घटना पर पीड़ित छात्रा ने जब शिकायत की, तो बीएचयू प्रशासन का जवाब था कि 'शाम के 6 बजे के बाद आप बाहर क्या कर रही थीं.'

कैसे शुरू हुआ छात्राओं का आंदोलन

बैचलर ऑफ फाइन ऑर्ट्स की एक छात्रा ने गुरुवार को शिकायत दर्ज कराई कि बाइक सवार तीन मनचले युवकों ने उसके साथ छेड़छाड़ की, जब वह शाम 6 बजे बीएचयू कैंपस स्थित अपने कुंदन देवी हॉस्टल लौट रही थी. मनचलों ने उसे गालियां दी और शारीरिक रूप से छेड़छाड़ की. छात्रा के प्रतिरोध करने पर मनचले फरार हो गए.

इस मामले में शिकायत दर्ज कराने वाली और विरोध प्रदर्शन कर रही लड़कियों का कहना है कि छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है, जबकि अधिकारियों का कहना था कि छात्रा के साथ ईव टीजिंग हुई है. पीड़ित का कहना था कि एक गॉर्ड घटनास्थल से कुछ ही दूर खड़ा था, लेकिन उसने मनचलों को पकड़ने के लिए कुछ नहीं किया.

इसके बाद महिला महाविद्यालय की छात्राएं इस मामले को लेकर हॉस्टल की वॉर्डन के पास गईं. लेकिन, लड़कियों की सुरक्षा के मामले को गंभीरता से लेने के बजाय वॉर्डन ने इसके लिए पीड़ित छात्रा को ही दोषी ठहरा दिया.

वॉर्डन के जवाब के बाद छात्राएं धरने पर बैठ गईं. वॉर्डन ऑफिस के बाहर छात्राओं ने गुरुवार को ही धरना शुरू कर दिया. गुरुवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में थे, लड़कियों ने मार्च निकाला और लंका गेट स्थित सिंह द्वार पर प्रदर्शन किया.

रविवार रात तक लड़कियों का प्रदर्शन जारी था, जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई सारे छात्रों को घायल कर दिया, इसमें महिला छात्राएं भी थीं. दिलचस्प ये है कि बीएचयू प्रशासन ने एक बयान जारी कर छात्राओं के इस प्रदर्शन को राजनीतिक करार दिया है, जिसके जरिए बीएचयू की छवि को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है.


















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