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Buxar Top News: आरक्षण के विरुद्ध बक्सर से निकली आन्दोलन की चिंगारी, दिल्ली में होगा प्रदर्शन.

राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय संयोजक युवा नेता मुरारी मिश्रा ने कहा कि 29 को जंतर-मंतर से होगी आन्दोलन की शुरुआत.
  • आरक्षण के विरोध में दिल्ली से आन्दोलन का आगाज होगा.
  • तीन लाख युवाओं से एकल मंच पर आने की अपील. 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आरक्षण के विरोध में बक्सर से भी स्वर उठने लगे हैं. राष्ट्रीय एकता मंच के राष्ट्रीय संयोजक युवा नेता मुरारी मिश्रा ने अपना दर्द हमसे साझा करते हुए बताया कि आरक्षण के कुचक्र के कारण सामान्य वर्ग के प्रतिभाशाली युवा भी डर डर की ठोकर खाने को मजबूर हैं| उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए आरक्षण का प्रावधान भारत में लागू किया गया था,उसे आज तक पाया न जा सका है,इसकारण यह तर्क जोर पकड़ रहा है कि इस नीति को और आगे न बढ़ाया जाए। पर यहां पर जो मुख्य सवाल उभरकर सामने आ जाता है,वह कि हमारी समाजिक-आर्थिक व्यवस्था वाली अगर कोई नीति अपने लक्ष्य को नहीं पा पाती है तो उसे बंद करना वाजिब है ? इस प्रश्न का उत्तर तब तक संतुष्टिदायक नहीं हो सकता,जब तक कि जाति पर आधारित असमानता और आधिपत्य की संरचना जारी रहेगी। इस नीति की प्रभावकारिता तब तक दृष्टिगोचर नहीं होगी,जब तक कि विद्यमान अवसरों और परिस्थितियों को सच्चे अर्थों में सामान बना दिया जाए। इस प्रश्न की उत्तर की शुरुआत अनुच्छेद-15 और 16 से किया जाना चाहिए,जो हमें इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि किसी व्यक्ति को इसलिए अपवर्जित नहीं किया जा सकता कि वह ब्राह्मण है और दूसरा निम्न जाति का है। इसी आधार पर एड्स रोगियों को भी सरकारी नौकरी से मना नहीं किया किया जा सकता। और इसी समता को बढ़ावा देने के लिए अनुच्छेद-17 के तहत अस्पृश्यता की कुरीति को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। मतलब स्पष्ट है - संवैधानिक प्रावधान यह है कि जब तक समाज में विभेदता है,जातिगत वर्चस्व है,तब तक आरक्षण लागू रहेगा।

उन्होंने कहा कि आज परिस्थितियाँ बदल चुकी है। समाज टूट चुका है। कठोर जातिगत नियम ख़त्म हो चुका है। एक ओर कुछ बुद्धिजीवी जाति को नकार चुके है तो दूसरी ओर लोग वर्तमान जाति-व्यवस्था की समाप्ति की ओर अग्रसर है। जब पूरा का पूरा प्राचीन दृश्य बदल गया है तो हम जाति को पिछड़ापन और सामाजिक भेदभाव का आधार क्यों मान रहे हैं ? नयी उपभोक्तावादी संस्कृति का उदय ने आर्थिक आधार पर भी विभेदता को जन्म दे दिया है,जो आये दिनों पार्टियों,शादी-विवाह आदि में देखने को मिल जाता है। इसकारण आरक्षण का आधार आर्थिक बना दिया जाएगा तो समाज में जो रोष घर कर गया है वह धूमिल हो जाएगी,समरसता बढ़ेगा और भारत का एक नए रूप का जन्म होगा।  हमें इस सिद्धांत को छोड़ना होगा कि जाति आधारित आरक्षण ही क्षतिपूर्ति कर पाएगी। इसके लिए तत्काल संविधान संशोधन करके आधार को आर्थिक बनाना चाहिए।

उनहोंने कहा कि अपनी इन्ही बातों को सरकार के समक्ष रखने के लिए आरक्षण के विरुद्ध एक विशाल आन्दोलन की शुरुआत होने जा रही है जिसके तहत दिनांक 29 अक्टूबर को दिल्ली के जंतर-मंतर से विशाल आन्दोनल की शुरू आत की जाएगी| उन्होंने पीड़ित तीन लाख युवाओं को एक मंच पर आनेद की बात कही है|















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