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Buxar Top News: बड़ी खबर: साला-बहनोई ने तीन दर्जन लोगों को जीते जी मारा, साथ मिलकर एलआईसी को लगाया करोड़ों का चूना ..


भारतीय जीवन बीमा निगम के एक अभिकर्ता द्वारा तकरीबन पौने एक करोड़ रूपये के गबन कर लेने का मामला प्रकाश में आया है. 


  • एक ही व्यक्ति को दिखाया कई बार मृत, फिर भी जिन्दा रहा पॉलिसीधारक.
  • शाखा प्रबंधक ने दर्ज कराया मामला, जांच में जुटी पुलिस.



बक्सर टॉप न्यूज़, क्सर: भारतीय जीवन बीमा निगम के एक अभिकर्ता द्वारा तकरीबन 75 लाख रूपये के गबन कर लेने का मामला प्रकाश में आया है. 


मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय जीवन बीमा निगम की बक्सर शाखा में कार्यरत एक अभिकर्ता ने गलत ढंग मृत्यु दावा के मामलों में हेर-फेर कर तकरीबन 75 लाख की निकासी की है. इस कार्य उसके शिक्षक बहनोई की भी मिली भगत की बात सामने आयी हैं. मामले को लेकर बक्सर शाखा के शाखा प्रबंधक अजय कुमार ने नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है. 


उन्होंने अपने आवेदन में बताया है कि ब्रम्हपुर थाना के एकडाढ़ गाँव का रहने वाला अभिकर्ता विरेन्द्र साह उनकी शाखा में अभिकर्ता है उक्त अभिकर्ता ने एक ही व्यक्ति को कई बार मृत घोषित कर खाते भारतीय जीवन बीमा निगम की शाखा से विभिन्न पॉलिसियों के अंतर्गत तकरीबन 75 लाख रूपये अवैध रूप से निकाल लिए. मामले का खुलासा तब हुआ जब किसी एक पॉलिसी में उसे कुछ दस्तावेजों कि सत्यता पर शक हुआ. जिसके बाद दावे में दिए गए दस्तावेजों की जांच शुरू की गयी तो इस तरह का मामला सामने आया. मामले में तत्काल अभिकर्ता का लाइसेंस रद्द करते हुए उसके विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया. 


इस घोटाले में उसके साथ उसका बहनोई रामजी प्रसाद, तथा उसकी एक अन्य महिला रिश्तेदार भी शामिल है. अभिकर्ता का बहनोई जहाँ ब्रम्हपुर प्रखंड के ही घुरहूपुर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक है, वहीँ महिला आंगनबाड़ी सेविका है.  इन सभी ने मिल कर एक ही विद्यालय से पहले व्यक्ति का जन्म तिथि प्रमाण पत्र तथा आंगनबाड़ी केंद्रों से मृत्यु प्रमाण पत्रों भी बनवा लिए. तथा इन्ही के आधार पर एक ही व्यक्ति के जीवन पर कई बार जीवन बीमा पॉलिसियां ली तथा फिर उनका मृत्युदावा भी प्राप्त कर लिया. इस प्रकार उसने तकरीबन 75 लाख की अवैध निकासी कर ली. उसने तकरीबन 30 बीमा पॉलिसियों में इस तरह का फर्जी वाड़ा है. एक ही व्यक्ति के नाम पर 2012 , 2014 तथा 2017 में तीन-तीन बार पॉलिसियां ली गयी तथा बार-बार उन्हें मरा दिखा दिया गया. हालांकि, व्यक्ति हर बार जीवित ही रहा, सिर्फ उसे कागजी तौर पर मरा घोषित किया जाता रहा. यह गोरखधंधा तकरीबन तीस पॉलिसियों में किया गया है.


सूत्र बताते हैं कि यह कोई पहली घटना नहीं है पूर्व में एलआईसी में गलत ढंग से निकासी के कई मामले सामने आते रहे हैं. लेकिन उन्हें शाखा स्तर पर ही दबा दिया जाता रहा है. इस मामले में चूंकि पटना के अधिकारियों ने रूचि दिखाई तो शाखा के अधिकारी भी एक्शन में आए. वहीँ यह भी सोचने वाली बात है कि जहां मृत्यु दावा देने से पूर्व बाकायदा जांच की जाती है वहां एक साथ 30 पॉलिसियों में इस तरह की चूक कैसे हो गयी?


दूसरी तरफ मामला दर्ज होते ही पुलिस जांच में जुट गयी है. थानाध्यक्ष दयानन्द प्रसाद ने बताया कि मामला गंभीर है तथा यह भी जांच का विषय है कि आखिर कैसे एलआईसी से इतनी बड़ी निकासी हो गयी. पुलिस मामले के विभिन्न पहलुओं को आधार बना कर जांच कर रही है. संभव है कि इसमें निगम के किसी अधिकारी का भी हाथ हो.














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