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Buxar Top News: पुलिस लेती संज्ञान तो बच जाती विनोद की जान ! चार माह पूर्व ही थानाध्यक्ष ने दी थी धमकी, पांच के विरुद्ध दर्ज हुई प्राथमिकी ..

मृतक के भाई प्रमोद कुमार द्वारा पांच लोगों को नामजद आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.


- गोलीबारी मामले में मृतक विनोद ने एसपी से की थी शिकायत
- चार माह बाद नामजद आरोपियों ने कर दी हत्या.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: शनिवार को इटाढ़ी के बकसड़ा गांव के पास हुई विनोद सिंह कुशवाहा की हत्या के बाद लोगों का आक्रोश उबल पड़ा, जिसके बाद नगर का ज्योति प्रकाश चौक जाम कर दिया गया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा आगजनी भी की गई. काफी समझाने-बुझाने के बाद रात में तकरीबन 3:00 बजे जाम को खत्म कराया गया. जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया जहां उसका पोस्टमार्टम कराया गया.

कनकपुरा में ही हुआ अंतिम संस्कार, बनाया जा रहा स्मारक: 

विनोद सिंह कुशवाहा का अंतिम संस्कार इटाढी थाना क्षेत्र के एक कनपुरा गांव में ही कर दिया गया. बताया जा रहा है कि स्वर्गीय विनोद के स्मृति में यहां एक स्मारक भी स्थापित किया जाएगा.


मृतक के भाई ने दर्ज करायी प्राथमिकी, पाँच नामजद: 

मृतक के भाई प्रमोद कुमार द्वारा पांच लोगों को नामजद आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. पुलिस को दिए अपने आवेदन में उन्होंने बताया है कि शनिवार के संध्या करीब 4:15 पर सूचना मिली कि आपके भाई विनोद सिंह कुशवाहा को कोच बकसड़ा जाने वाले मोड़ रोड पर गोली मार दी गई है. सूचना मिलते ही परिवार के सभी सदस्यों को सूचना देते हुए वह घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन वहाँ लोगों द्वारा बताया गया कि थानाध्यक्ष शमीम अहमद जख्मी विनोद को लेकर निकल चुके थे. उन्होंने बताया कि घटना का कारण उनके भाई द्वारा पत्नी रीता देवी के नाम पर ली गई जमीन है. इसी जमीन के कारण उपजे विवाद में ललन सिंह पिता- स्वर्गीय शिव प्रसन्न सिंह, रंजय सिंह पिता-ललन सिंह, जितेंद्र सिंह पिता-रासबिहारी सिंह, रितेश कुमार पिता- राजेंद्र सिंह एवं राजेंद्र सिंह पिता- शिव प्रसन्न सिंह हरवे हथियार से लैस होकर पहले से ही घात लगाकर वहां बैठे हुए थे. जिन्होंने वहां पर उनके भाई को गोली मार दी. जिससे कि वह लहूलुहान होकर गिर पड़े. बाद में वे सभी मोटरसाइकिल से दक्षिण की तरफ हाथ में कट्टा लहराते हुए भाग गए.

पहले भी मिली थी जान से मारने की धमकी: 

प्रमोद ने बताया कि उनके भाई विनोद सिंह ने बताया था कि, बक्सर कोर्ट में उपरोक्त अभियुक्तों के साथ जमीन संबंधी विवाद चल रहा है तथा अभियुक्तों द्वारा पहले भी जान से मारने की धमकी दी गई थी. जिस की लिखित सूचना विनोद सिंह ने न्यायालय में दी थी. 

अस्पताल के बदले पहुंचाया पोस्टमार्टम हाउस: 

उन्होंने बताया है कि इटाढ़ी के थानाध्यक्ष शमीम अहमद घटनास्थल पर छटपटा रहे उनके भाई को इलाज हेतु सदर अस्पताल ले गए हैं,जबकि सदर अस्पताल पहुंचने पर वह मिले नहीं. बाद में ज्ञात हुआ कि थानाध्यक्ष द्वारा पुराना सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस में विनोद को पहुंचा दिया गया जहां उनका भाई मृत पाया गया है.

थानाध्यक्ष ने एक दिन पूर्व दी थी देख लेने की धमकी:

 प्रमोद ने यह भी बताया कि  दिन पूर्व सीजेएम कोर्ट के बाहर विनोद सिंह को इटाढ़ी थानाध्यक्ष ने कहा था कि तुम्हें कल दिखा देंगे. मामले में इटाढ़ी थानाध्यक्ष शमीम अहमद के विरुद्ध पुलिस द्वारा कोई कारवाई न किया जाना कहीं ना कहीं पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता नज़र आ रहा है. क्योंकि, विगत 29 जुलाई को विनोद सिंह ने आरक्षी अधीक्षक को दिए एक पत्र में इटाढी थाना अध्यक्ष शमीम अहमद के द्वारा विरोधी पक्ष को मदद करने एवं उन्हें परेशान करने के संबंध में एक आवेदन दिया था.

गोलीबारी करने वाले विरोधी पक्ष को थानाध्यक्ष कर रहे थे मदद, मृतक विनोद ने एसपी से की थी शिकायत:

अपने आवेदन में उन्होंने बताया था कि कनपुरा गांव में उनकी 4 एकड़ 2 डिसमिल जमीन जो कि उनके पत्नी के नाम पर है पर विपक्षी ललन सिंह द्वारा गलत तरीके से कब्जा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया था की 28 जुलाई की रात 9:00 बजे विपक्षी ललन सिंह व उनके सहयोगियों द्वारा ट्रैक्टर से उनके खेत की जबरन जुताई कर दी गई थी, तथा मना करने पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी. उन्होंने बताया था कि मामले की जानकारी थानाध्यक्ष को देने पर उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की जिसके कारण विनोद सिंह ने आरक्षी अधीक्षक को मामले की सूचना दी. जिसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची. लेकिन इस बात से खफा थानाध्यक्ष शमीम अहमद ने उन्हें धमकी देते हुए कहा था कि तुमको थाना का पावर दिखा देंगे एवं कई मुकदमों में फँसा कर देंगे जिससे जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे बीत जाएगी.

पुलिस लेती संज्ञान तो बच जाती विनोद की जान: 
परिजनों का कहना है के विनोद सिंह द्वारा चार माह पूर्व एसपी को दिए आवेदन पर उन्होंने संज्ञान लिया होता तो शायद आज उनकी हत्या नहीं हुई होती, क्योंकि विनोद ने अपने आवेदन में जिन लोगों  को हत्या जैसी वारदात को अंजाम देने का आरोपी बनाया था उन्हीं लोगों ने कथित तौर पर विनोद की जान ले ली है.

परिजन जता रहे आशंका, नहीं हो पाएगी सही ढंग से जांच: 

परिजनों का कहना है कि इटाढ़ी थानाध्यक्ष आरोपियों द्वारा मिले हुए हैं, ऐसे में यह संभव ही नहीं है कि इस हत्या की सही ढंग से जांच हो सके.
 














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