Header Ads

Buxar Top News: चौसा में पावर प्लांट लगा बड़े नरसंहार की हो रही तैयारी, आखिर क्यों मौन है शासन-प्रशासन?

एसजेवीएन द्वारा लोगों को मौत के मुंह में धकेलने की भी तैयारी की जा रही है. 

- हरित पट्टी लगाने का वादा साबित हो रहा झूठा.विषैली गैसों के उत्सर्जन से बेमौत मारे जाएंगे हज़ारों लोग.
- मुफ्त चिकित्सकीय सेवा के नाम पर भी की जा रही है महज खानापूर्ति.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: प्रदूषण का दुष्परिणाम कैसा होता है यह लोग दिल्ली का हाल देख कर समझ सकते हैं. बावजूद इसके लोग अभी भी आंखें बंद किए हुए हैं. सरकार एवं प्रशासन को भी जनता की जिंदगी से कुछ विशेष लेना-देना नहीं है. इस बात का ताजा उदाहरण चौसा में स्थापित हो रहे पावर प्लांट को देखकर समझा जा सकता है. चौसा में बन रहे पावर प्लांट से जहां एक ओर जिले के विकास की बातें कही जा रही है. वहीं पावर प्लांट लगा रहे कंपनी एसजेवीएन द्वारा लोगों को मौत के मुंह में धकेलने की भी तैयारी की जा रही है. 

दरअसल, बिजली उत्पादन के लिए लगाए जा रहे इस पावर प्लांट से विषैली गैसो का उत्सर्जन होगा जिससे पावर प्लांट के आस-पास बसे कई गांवों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, कंपनी का कहना था कि पावर प्लांट से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषित गैस से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हरित पट्टी (काफ़ी संख्या में पेड़ लगाना) का विकास किया जाएगा. लेकिन तीन वर्षों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी हरित पट्टी तो दूर एक पौधा भी कंपनी द्वारा नहीं लगाया गया है. ऐसे में साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि कंपनी अपने फायदे के लिए पावर प्लांट के आसपास के कई गांवों के हजारों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने पर आमदा है. 


दूसरी तरफ़ कंपनी द्वारा आसपास के गांवों के ग्रामीणों को चलंत रुप से मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा देने के लिए भी चलायी जा रही स्वास्थ्य वाहन में लोगों की चिकित्सा करने वाले चिकित्सक लोगों की स्वास्थ्य सेवा करते समय अहसान करने जैसा भाव दिखाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि कंपनी के द्वारा प्रदत्त वृद्ध एवं सेवा मुक्ति की उम्र में जा चुके चिकित्सक लोगों के साथ न सिर्फ दुर्व्यवहार करते हैं बल्कि, हर रोग के लिए एक ही दवा देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं. यही नहीं भूल से यदि कोई ग्रामीण ब्लड प्रेशर वगैरह की जांच की बात कर दे तो उसे वृद्ध चिकित्सक के कोप का शिकार होना पड़ता है. वे ग्रामीणों से गाली-गलौज तक करने पर उतारू हो जाते हैं. यही नहीं हेल्पेज इंडिया की देखरेख में चल रही इस चिकित्सकीय वाहन की सेवाएं भी नियमित रूप से ग्रामीण इलाकों में नहीं दी जाती.

इन मसलों को लेकर कंपनी की योजनाओं के संबंध में कंपनी के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. 

बहरहाल, एक बात तो तय है कि पावर प्लांट लगने के बाद जब हवा में जहर घुलने लगेगा और लोग घुट-घुट कर मरने को मजबूर होंगे तो उनको बचाने के लिए कंपनी बेहतर स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध कराने में भी असफल साबित होगी. 


देखें वीडियो: 

 














No comments