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Buxar Top News: जिलाधिकारी को नहीं है मालूम, 2017 में भी 2013 के अभ्यर्थियों ने किया है योगदान ! आख़िर अब अन्याय क्यों? - रामजी सिंह ।

जिलाधिकारी को शायद यह बात ज्ञात नहीं है कि उनके मातहतों ने वर्ष 2013 वर्ष 2015 के अभ्यर्थियों को 4 साल के बाद भी योगदान कराया है.

- जिला प्रशासन पर लगाया अन्यायपूर्ण व्यवहार करने का आरोप.
- न्याय मिलने तक किया जाता रहेगा आंदोलन.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कार्यपालक सहायक का दर्द शायद जिला प्रशासन नहीं समझ पा रहा है. प्रशासन कार्यपालक सहायकों के प्रति मनमाना एवं अन्याय पूर्ण रवैया अपना रहा है. कार्यपालक सहायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे युवा नेता रामजी सिंह बताया कि जिला प्रशासन का यह कहना के कार्यपालक सहायक के चयन की वैधता केवल एक साल है. यह सरासर तथ्यहीन एवं झूठी बात है. जिला प्रशासन द्वारा आरक्षी अधीक्षक कार्यालय समेत विभिन्न विभागों में ऐसे सफल अभ्यर्थियों को योगदान कराया गया है जो वर्ष 2013 और 2015 में बने पैनल में शामिल हैं.

 उन्होंने जिला प्रशासन से सीधा सवाल किया कि यदि चयनित कार्यपालक सहायकों को एक वर्ष के भीतर ही अपना योगदान दे देना था तो आखिर क्या कारण था कि वर्ष 2017 के मार्च माह में वर्ष 2013 के चयनित अभ्यर्थियों को योगदान कराया गया? उन्होंने बताया कि  जिलाधिकारी को शायद यह बात ज्ञात नहीं है कि उनके मातहतों ने वर्ष 2013 वर्ष 2015 के अभ्यर्थियों को 4 साल के बाद भी योगदान कराया है. जिसके चलते  4 साल से अभ्यर्थी  अपना योगदान कराए जाने की आस लगाए बैठे हैं. ऐसे में अगर यह कहा जा रहा है कि कार्यपालक सहायकों को एक साल के भीतर योगदान करा लेना है तो यह सरासर गलत एवं अन्याय पूर्ण बात है. आखिर प्रशासनिक गलती की सजा कार्यपालक सहायक अभ्यर्थियों क्यों भुगतें? 

रामजी ने साफ़ तौर पर कहा कि प्रशासन के मनमाने रवैये का विरोध हर स्तर पर तब तक किया जाता रहेगा जब तक सफल कार्यपालक सहायक अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिल जाता.











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