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Buxar Top News: महाशिवरात्रि विशेष: बाबा भूअरनाथ मंदिर: यहां स्वयं प्रकट हुए थे भगवान भोले शंकर !

नब्बे के दशक से मौन व्रत धारण किए हुए बाल ब्रह्मचारी संत श्री राम शर्मा जी भी यहाँ हैं जो श्रद्धालु भक्तों को लिखकर जीवन की सात्विकता को समझाते हैं. 

- महाशिवरात्रि के भक्तों का लगता है ताँता.
- शिवलिंग में लिपटे सांपों के साथ हुआ था भक्तों को भगवान शिव का दर्शन. 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भगवान अपने भक्तों पर असीम कृपा करते हैं और भक्तों को कभी भी नाराज नहीं करते हैं. बात भगवान शिव की हो तो बात ही कुछ और है. भगवान शिव के दरबार में सच्चे मन से जो भी भक्त जाते हैं वे कभी खाली नहीं लौटते हैं. ऐसा ही एक शिव मंदिर डुमराँव प्रखंड के सोवां गाँव में है जहाँ भक्तों की मनसा पूर्ण होती है. इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना किसने की है, कब की है यह अभी तक किसी को मालूम नहीं है. सोवां गाँव के पूर्वी भाग में स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र बना हुआ है. गाँव के बुजुर्ग गोपाल यादव, दामोदर तिवारी, विशेश्वर तिवारी ने बताया कि यहाँ जो भी याचक सच्चे मन से हैं उनकी मनसा पूर्ण होती है और जो भी यहाँ गलत करते हैं, भोले बाबा की कुदृष्टि का शिकार भी होते हैं.

 एक सच्ची घटना का जिक्र करते हुए कुछ ग्रामीणों ने बताया कि आज से तीस साल पहले शिव मंदिर में लगा कीमती घंटा गाँव के ही दो चोरों ने रात को चुरा कर पुआल के ढेर में छुपा दिया और आस पास ही सो गए. सुबह हो गई लेकिन वे लोग जगे नहीं जब किसान अपने खलिहान में गया तो पुआल खींचने का दरम्यान घंटा की आवाज आने लगी. फिर क्या था पुरे गाँव में यह बात जंगल की आग की तरह फैल गयी. लोग मौके पर पहुंच कर मामले को समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि मंदिर पर घंटा चोरी का शोर भी सुनाई पड़ने लगा. काफी खोजबीन के बाद गाँव के हीं दो व्यक्ति घंटा चोरी में पकड़े गए. उनमें से एक व्यक्ति सम्पन्न परिवार का व्यक्ति था जो आज भोलेनाथ की कुदृष्टि से बेहाल जीवन जीने को मजबूर है. हाथ पाँव से भी वह पंगु बना हुआ है. और दूसरा बदहाली के दौर से आज भी गुजर बसर करने को मजबूर है.


शिव लिंग के बारे में: शिव लिंग कब का स्थापित है और किसने स्थापना की है इसकी सही जानकारी किसी को नहीं है. जिस जगह पर शिव मंदिर है वहाँ की जमीन आस पास के जमीन से कुछ ऊंची थी. बच्चे वहाँ खेला करते थे. खेलने के क्रम में कुछ वहाँ  कुछ साँप दिखाई पड़े. फिर और खोजबीन शुरू हुई और वहाँ खुदाई करने पर पत्थरनुमा कुछ भाग दिखाई पड़ा. खुदाई करने के समय शिवलिंग मिला और शिवलिंग में बहुत से साँप लिपटे हुए दिखाई पड़े. गाँव के लोगों द्वारा रेहियाँ गाँव में पुजारी सीताराम दास के पास येन-केन प्रकारेण सूचना पहुँच गई. कुछ गहराई में खुदाई करने पर जब शिवलिंग की गहराई का पता नहीं चला तो होनी अनहोनी की चिंता छोड़ भगवान शिव का आदेश समझकर सीताराम दास जी ने मंदिर बनाने का संकल्प ले लिया और ग्रामीणों तथा गाँव के आस पास गाँव के सहयोग से भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवाया. यह शिव मंदिर बाबा भूवरनाथ मंदिर के नाम से विख्यात हुआ.


 सैकड़ों वर्षों से निर्मित यह शिव मंदिर आज भी आस्था और विश्वास का केन्द्र बना हुआ है. यहाँ शिव मंदिर के सामने उत्तरी छोर पर एक विशाल तालाब भी है. कई वर्षों से यहाँ हर साल महाशिवरात्रि के दिन अखंड चौबीस घंटे हवन का कार्यक्रम चलता आ रहा है जिसमें शामिल होने के लिए दूर प्रदेशों में रह रहे सोवां के लोग अपना काम धंधा छोड़ कर जरूर आते हैं.
लगभग नब्बे के दशक से मौन व्रत धारण किए हुए बाल ब्रह्मचारी संत श्री राम शर्मा जी भी यहाँ हैं जो श्रद्धालु भक्तों को लिखकर जीवन की सात्विकता को समझाते हैं. जाड़ा, गर्मी, बरसात किसी भी समय वे पैरों में जूते चप्पल सहित किसी चीज का प्रयोग नहीं करते हैं.


गाँव के विशेश्वर तिवारी और दामोदर तिवारी जो यहाँ का पुजारी हैं ने बताया कि यह शिव मंदिर का शिवलिंग आप रूपी है यहाँ सच्चे भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
मारकन्डेय सिंह यादव और गुप्तेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि हमारे पूर्वज कहा करते थे कि प्रभु श्रीराम ने सीता स्वयंवर में मिथिला जाने के क्रम में इस गाँव में विश्राम किया था हो सकता है उन्होंने ही शिव लिंग की स्थापना की हो. अनिल कुमार और उपेन्द्र साह ने बताया कि यह शिव मंदिर हमारे गाँव के लिए वरदान है क्योंकि यहाँ आने पर सारी चिंताएँ दूर हो जाती है. बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष मुक्तेश्वर और शिक्षक लल्लू ततवा तथा दिलीप यादव ने बताया कि यह मंदिर आस्था और विश्वास से इतना परिपूर्ण है कि प्रेम और एकता की मिसाल होली के दिन देखने को मिलती है. गाँव के सभी लोग यहाँ  एकत्रित होकर होली मनाते हैं और गले मिलते हैं यही नहीं गाँव के लोग उस दिन मांसाहार से भी परहेज करते हैं.

महाशिवरात्रि के अवसर पर केवल गांव ही नहीं बल्कि दूर दराज से भक्तों का जुटना शुरू हो जाता है. वहीं मंदिर परिसर हर-हर महादेव के नारों से मंदिर गुंजायमान हो उठता है. बाबा भोलेनाथ के भक्त विधि-विधान से बाबा भोलेनाथ की पूजा कर मंगल की कामना करते हैं.








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