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Hindi Top News: भोजपुरी अध्ययन केंद्र, राष्ट्रीय कार्यशाला का ग्यारहवां दिन: स्वास्थ्य को ले व्यापक जागरुकता की जरूरत- प्रो. नीरज ।

राष्ट्रीय कार्यशाला के इस विशेष सत्र के बहाने चिकित्सा व्यवस्था की सरकार द्वारा की जा रही लगातार अनदेखी पर भी कङे सवाल उठाए.

- जनपदीय अध्ययन :कृति, प्रकृति और संस्कृति'' विषय पर आयोजित की गई है 15 दिवसीय कार्यशाला.
- देश विदेश से आए वक्ताओं द्वारा दिए जा रहे हैं अपने विचार, भोजपुरी जनपदों से जुड़े लोग हो रहे हैं लाभान्वित.

हिंदी टॉप न्यूज़, बक्सर: मानव का स्वास्थ्य ही सबसे बङा धन है, आर्थिक स्थिति बेशक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करती है, बावजूद इसके शहरी के साथ ग्रामीण अंचलों के लोगों को विशेष रूप से जागरूक करने की आवश्यकता है. स्वास्थ्य सेवाओं को सामाजिक सेवा से जोड़ कर ही देश-समाज में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था बहाल की जा सकती है. उक्त बातें वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. नीरज कुमार अग्रवाल ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र, वाराणसी में आयोजित ''जनपदीय अध्ययन :कृति, प्रकृति और संस्कृति'' विषयक 15 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के ग्यारहवें दिन के दूसरे सत्र में कही. उन्होंने कहा कि भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में डाॅक्टरों और अस्पतालों की घोर कमी है. मानव जीवन और स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही देश में काफी पहले से रही है.सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में ह्रदय रोग विशेषज्ञ डाॅ ओमशंकर ने स्वस्थ्य रहने के लिए खानपान और रहन-सहन में सुधार लाने की सलाह दी. उन्होंने भोजपुरी अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित 15 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के इस विशेष सत्र के बहाने चिकित्सा व्यवस्था की सरकार द्वारा की जा रही लगातार अनदेखी पर भी कङे सवाल उठाए. देश में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा गरीब-असहाय मरीजों के आर्थिक शोषण पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं मिले तो देश की विकास की गति अपने-आप बढ सकती है. विशिष्ट वक्ता के रूप में शल्य चिकित्सक डाॅ शशि प्रकाश मिश्र ने भोजपुरी जनपदों में अनियमित खानपान और रहन-सहन में सुधार लाने की सलाह देते हुए कहा कि रोग बढने से पूर्व उसका समुचित इलाज हो जाये तो काफी लोगों की जान बचायी जा सकती है. सङक सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरतने और ट्रैफिक नियमों के पालन की आवश्यकता है. न्यूरो विभाग के डाॅ अभिषेक पाठक ने भोजपुरी अंचलों में अज्ञानता को दूर करने और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत रहने के लिए व्यापक जागरुकता पर बल दिया. लोगों की जीवनशैली का स्वास्थ्य से विशेष संबंध बताते हुए कहा कि यदि जीवनशैली में बदलाव ला दिया तो रोगों पर काफी हद तक लगाम लगायी जा सकती है. सत्र के आरंभ में अतिथियों का परिचय एवं स्वागत भाषण केंद्र समन्वयक श्रीप्रकाश शुक्ल ने दिया. जहां अतिथियों के स्वागातार्थ केंद्र की शोध छात्रा कुमारी चंदा ने भोजपुरी लोकगीत प्रस्तुत कर किया. सत्र का संचालन राकेश पांडेय ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन अरमान आनंद सिंह ने किया. इसके पूर्व पहले सत्र में "भोजपुरी जनपदों में मूर्ति कलाएं "विषय पर मूर्तिकार प्रो. मदनलाल ने लोक कार्य से जुङे अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि भोजपुरी अंचलों में मूर्तिकला और मूर्तिपूजा का विशेष महत्व रहा है. भोजपुरी जनपदों में कई तरह की लोक कलाएं आज भी विद्यमान हैं. जिन्हें संरक्षित करने और इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. लोक कला, लोक गीत-संगीत, लोक कहानियां, मूर्तिकला और चित्रकला का सांस्कृतिक महत्व  सदियों से रहा है. दीवालों पर भित्तिचित्र आज भी भोजपुरी अंचलों की पारंपरिक कलात्मक दृष्टि को प्रमाणित करते हैं.उपभोक्तावादी संस्कृति से लोक कलाओं को हो रही क्षति से सचेत रहने की सलाह दी.
राष्ट्रीय कार्यशाला के ग्यारहवें दिन के पहले सत्र का संचालन शिव कुमार यादव ने तो धन्यवाद ज्ञापन प्रिया पांडेय ने किया.

(संकलन : राणा अवधूत कुमार. )










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