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Buxar Top News: कई गांवों को रेलवे की सुविधा से जोड़ने वाले बरुना रेलवे स्टेशन पर पहुंच पथ का है आभाव..

प्लेटफार्म छोटा होने के कारण यात्रियों को रेलवे ट्रैक पर ही उतरना पड़ता है. 

- नक्सली हमले का शिकार हुए स्टेशन पर बिना सुरक्षाकर्मियों के ही कार्य करते हैं कर्मी.
- बरसात के दिनों में स्टेशन पर आने वाले लोगों को होती है खासी परेशानी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  दानापुर मंडल के बरुना रेलवे स्टेशन डुमराँव और बक्सर रेलवे स्टेशन के बीच प्रमुख रेलवे स्टेशन है.
यह स्टेशन कई मायने में काफी महत्वपूर्ण है. आसपास के कई गांवों के लिए यह स्टेशन इस लिए विशेष है क्योंकि यह रेलवे स्टेशन उन्हें आरा, बक्सर एवं पटना  तथा मुगलसराय जैसे बड़े रेलवे स्टेशन से जोड़ता है वर्ष 1999 में उग्रवादी हमले का शिकार हुए इस रेलवे स्टेशन की स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. यह स्टेशन लंबे समय से उपेक्षा का दंश झेल रहा है.

बिना किसी सुरक्षा के स्टेशन प्रबंधक और पोर्टरों के भरोसे चलने वाले इस रेलवे स्टेशन स्टेशन पर 15 बोगियों वाली ट्रेनें खड़ी होने लायक प्लेटफार्म है. जबकि बड़ी बोगियों वाली ट्रेने आने पर वे स्टेशन से बाहर ही खड़ी रहती हैं. रेल यात्री रोहतास के रहने वाले विनोद पासवान बताते हैं कि प्लेटफार्म छोटा होने के कारण यात्रियों को रेलवे ट्रैक पर ही उतरना पड़ता है. प्लेटफार्म पर ट्रेनों के इंतजार करने वाले यात्रियों के बैठने के लिए 6 छोटे यात्री शेड बनाए गए हैं लेकिन  इनके  अंदर  बनाई गई कुर्सियां टूटी अवस्था में  है. बरुना के रहने वाले रेलयात्री श्रवण राम ने बताया के चिलचिलाती धूप में यात्रियों की भीड़ इन  के शेडो भरोसे नहीं रह सकती है जगह कम होने के कारण यात्रियों को बाहर बैठना पड़ता है.


पेयजल की समस्या को दूर करने में काफी हद तक स्टेशन के प्रबंधन ने सफलता पाई है तथा लगभग सभी नलों से पानी आ रहा है. 

हालांकि शौचालयों की स्थिति बदतर होने के कारण पुरुष ही नहीं महिला यात्रियों को भारी फजीहत का सामना करना पड़ता है. बरुना की ही रहने वाले महिला यात्री मनीषा देवी बताती है कि प्लेटफार्म पर ट्रेनों के इंतजार के दौरान शौचालयों की आवश्यकता पड़ने पर काफी फजीहत उठानी पड़ती है उस समय सिर्फ यही विकल्प बचता है कि या तो गंदगी भरे का प्रयोग किया जाए अथवा ट्रेनों के आने का इंतजार किया जाए.

दूसरी तरफ इस रेलवे स्टेशन पर एक भी फुट ओवरब्रिज नहीं है जिसके कारण लोगों को ट्रैक पार कर के ही एक से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाना पड़ता है भटवलिया के रेल यात्री राजू कुमार सिंह का कहना है कि फुटओवर ब्रिज होने से यात्रियों को ट्रैक नहीं पार करना पड़ेगा जिससे कि दुर्घटनाओं की आशंका नहीं होगी.


बरुना के ही रहने वाले रिटायर्ड  सेना के जवान एच एम सिंह ने बताया कि प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिए पहुंच पथ काफी बुरी हालत में है जहां सालों भर नालियों का पानी बहता रहता है वही बरसात के दिनों में तो प्लेटफार्म पर आना बड़ा मुश्किल होता है.

मामले में जब हमने स्टेशन प्रबंधक के एम प्रसाद से बात की तो उन्होंने बताया कि इस रेलवे स्टेशन की आमदनी औसतन 40 हजार रुपए प्रतिमाह है यात्रियों की संख्या भी यहां प्रतिदिन 100 से डेढ़ सौ की होती है ऐसे में यात्री सुविधाएं काफी है. लेकिन फिर भी जो कमी होगी उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा. रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा बलों की उपलब्धता पर उन्होंने कहा कि वह करीब साढे 4 वर्षों से इसी रेलवे स्टेशन पर स्टेशन प्रबंधक हैं. स्थानीय लोगों से दोस्ताना व्यवहार होने के कारण उन्हें कभी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं महसूस हुई.















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