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Buxar Top News: डीके कॉलेज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई हो शुरू अन्यथा होगा आंदोलन - विद्यार्थी परिषद ।

एकेडमिक काउंसिल एवं सिंडिकेट से पास हो जाने के बावजूद भी डीके कॉलेज डुमराँव में स्नातकोत्तर की पढ़ाई नहीं शुरू करना यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

- वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति से मिला विद्यार्थी परिषद का प्रतिनिधिमंडल.
- एमवी कॉलेज के शिक्षकेतर कर्मियों की हड़ताल समाप्त कराने की भी कही गई बात.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डी के कॉलेज डुमराव में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने और महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय बक्सर में कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त करने को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय के कुलपति से मिला.

परिषद के  विश्वविद्यालय संयोजक श्री अनुराग श्रीवास्तव और बक्सर और भोजपुर जिले के विभाग संयोजक श्री दीपक यादव के नेतृत्व में कुलपति से वार्ता की गई.  वार्ता में सर्वप्रथम महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय बक्सर में शिक्षकेतर कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त करने का विषय रखा.

 गया ज्ञात हो कि 16 मार्च से शिक्षकेतर कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जिसके कारण कॉलेज में सभी काम प्रभावित हो रहे हैं. छात्र फॉर्म भरने के लिए किसी प्राप्त करने के लिए अंक पत्र प्राप्त करने के लिए कई दिनों से कॉलेज का चक्कर काट रहे हैं. लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, जिसे लेकर विद्यार्थी परिषद ने कुलपति से वार्ता करते हुए श्री अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो परिषद कार्यकर्ता चरणबद्ध आंदोलन को बाध्य होंगे.

वहीं, बक्सर जिले के डुमराँव अनुमंडल मुख्यालय का एकमात्र अंगीभूत कालेज डीके कॉलेज डुमराव जहां पर स्नातकोत्तर की पढ़ाई नहीं होने से छात्र दर दर ठोकरे खाने को मजबूर हैं. विदित हो कि कुलपति को जानकारी देते हुए दीपक यादव ने कहा कि एकेडमिक काउंसिल एवं सिंडिकेट से पास हो जाने के बावजूद भी डीके कॉलेज डुमराँव में स्नातकोत्तर की पढ़ाई नहीं शुरू करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और यदि इस सत्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू नहीं की गई तो परिषद के कार्यकर्ता चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. मौके पर छात्र संघ के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अमित सिंह, विश्वविद्यालय कोषाध्यक्ष संटू मित्रा, छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ.पारस राय, विश्वविद्यालय कुलानुशासक शिवप्रसन्न सिंह, परीक्षा नियंत्रक सिद्धेश्वर सिंह समेत विश्वविद्यालय के पदाधिकारी मौजूद रहें.















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