Buxar Top News: न्यायिक अभिरक्षा में लिए गए कोषागार पदाधिकारी ..
उनके न्यायालय में नहीं उपस्थित होने के कारण गवाही नहीं हो पा रही थी तथा मामला लटक गया था. कोर्ट द्वारा गवाही के लिए बार बार सम्मन भेजे जाने के बावजूद उपस्थित नहीं होने पर नाराज न्यायालय द्वारा उनके विरुद्ध वारंट निर्गत कर दिया गया था.
- पूर्व के सरकारी राशि के गबन के मामले में थे गवाह.
- न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम के न्यायालय ने सुनाया फैसला.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: न्यायालय परिसर के ठीक बगल में रहने के बावजूद बार-बार सम्मन जारी जारी करने पर भी गवाही में उपस्थित ना होना कोषागार पदाधिकारी को महंगा पड़ गया.
सरकारी गबन के मामले में गवाह रहे ट्रेजरी ऑफिसर को न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में ले लिया. उन्हें बाकायदा लॉकअप में खड़ा भी कराया गया. हालांकि, कुछ देर बाद ही उन्हें निजी मुचलके पर जमानत भी दे दी गई.
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार कोषागार पदाधिकारी पूर्व के किसी सरकारी राशि के गबन के मामले में गवाह थे परंतु उनके न्यायालय में नहीं उपस्थित होने के कारण गवाही नहीं हो पा रही थी तथा मामला लटक गया था. कोर्ट द्वारा गवाही के लिए बार बार सम्मन भेजे जाने के बावजूद उपस्थित नहीं होने पर नाराज न्यायालय द्वारा उनके विरुद्ध वारंट निर्गत कर दिया गया था. बाद में जब वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए गवाही से पूर्व सर्वप्रथम उन्हें न्यायालय के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया.
एक बार तो कोषागार पदाधिकारी सकते में आ गए. लेकिन, बाद में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम के न्यायालय ने उन्हें निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. मामले को लेकर न्यायालय परिसर में चर्चा का विषय बनी रही. हालांकि एक बात यह भी सोचने वाली है कि जब न्यायालय परिसर के ठीक बगल में रहने वाले गवाह न्यायालय में उपस्थित होने में इतना वक्त लगाते हैं, तो फिर दूरदराज के गांव में रहने वाले लोग कैसे न्यायालय के सम्मान का पालन कर पाते होंगे?
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