Buxar Top News: ख़तरे में पड़ी यात्रियों की जान: भूस्खलन से धंस गई पटरी, घंटो बाधित रहा रेल परिचालन, 5 घंटे बाद भी मरम्मत जारी ..
तकरीबन 2 घंटे बीत जाने के बावजूद यांत्रिक विभाग द्वारा ना तो घटना के स्थल का पता लगाया जा सका और ना ही खराबी को दुरुस्त किया जा सका. दो घंटे बीत जाने के बाद जीआरपी द्वारा यांत्रिक विभाग से संपर्क साध कर उसे सही जगह की जानकारी दी गई.
- मूसलाधार बारिश से बह गयी ट्रैक के नीचे की मिट्टी.
- सही सूचना नहीं मिलने के कारण हुआ घंटों का विलंब.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पिछले दिनों से लगातार हो रहे रेल हादसों के बीच रविवार को दानापुर-मुगलसराय रेलखंड के बक्सर-चौसा रेलवे स्टेशन के बीच बड़का नुआव गांव के समीप पोल संख्या 629/28 के समीप भूस्खलन हो जाने के कारण रेल की पटरी धंस गयी.
सुबह से लगातार हो रही बारिश से बह गई पटरी के नीचे की मिट्टी:
रविवार की सुबह से ही हो रही मूसलाधार बारिश के कारण पटरी के नीचे की मिट्टी बह गयी. मिट्टी बहने की सूचना ग्रामीणों के द्वारा शाम चार बजे सर्वप्रथम मुफ्फसिल थाना को दी गई, जिसके बाद मुफस्सिल थाना के द्वारा डीएसपी एवं डीएसपी के द्वारा बक्सर राजकीय रेल पुलिस को मामले से अवगत कराया गया.
सभी स्टेशनों पर रोक दी गई गाड़ियां:
आनन-फानन में सभी रेलवे स्टेशन पर सूचना दी गई कि जो गाड़ी जहां हो वहीं पर रोक दिया जाए. इस तरह रघुनाथपुर, डुमराँव तथा बक्सर स्टेशन पर विभिन्न ट्रेन रोकी गई. यात्रियों को भी पटरी धंसने की जानकारी ध्वनि विस्तारक यंत्र से दी जाती रही. हालांकि, सूचना में उन्हें बरुना और बक्सर के बीच पटरी धंसने की बात बताई गई.
घंटो तक नहीं पता लगाया जा सका कहां पर क्षतिग्रस्त है पटरी:
यात्री सुविधाओं के प्रति रेल कितना सजग है इसका नजारा तब देखने को मिला जब सही सूचना के आदान प्रदान नहीं होने के कारण तकरीबन 2 घंटे बीत जाने के बावजूद यांत्रिक विभाग द्वारा ना तो घटना के स्थल का पता लगाया जा सका और ना ही खराबी को दुरुस्त किया जा सका. दो घंटे बीत जाने के बाद जीआरपी द्वारा यांत्रिक विभाग से संपर्क साध कर उसे सही जगह की जानकारी दी गई.
रात 9:00 बजे तक चल रहा है ट्रैक पर काम:
इसके बाद मरम्मति का कार्य आरंभ किया गया. स्टेशन प्रबंधक राजन कुमार ने बताया कि मरम्मति का कार्य शुरू कर दिया गया है और 1 घंटे के अंदर उसे दुरुस्त कर परिचालन शुरू कर दिया जाएगा. रात तकरीबन 9:00 बजे तक ट्रैक पर काम किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ग्रामीणों द्वारा मिट्टी बहने की सूचना अगर समय पर नहीं दी गई होती तो हजारों यात्रियों की जान पर खतरा हो सकता था.
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